उद्योग आर्थिक गतिविधियों का केंद्र के साथ भारत के भविष्य के सह निर्माता: उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को भारत मंडपम में आयोजित सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के 19वें संस्करण में उद्योग जगत से संवाद करते हुए कहा कि उद्योग केवल आर्थिक गतिविधियों का केंद्र नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के सह-निर्माता हैं। उन्होंने उद्योगों से समावेशिता, सततता और नवाचार को अपनी कार्य संस्कृति का आधार बनाने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उद्योग जगत को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को समर्थन देकर और नेतृत्व में लैंगिक और जातिगत विविधता को बढ़ावा देकर समावेशन की एक शक्ति बनना चाहिए। उन्होंने सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर चिंता जताई और कहा कि समानता के लिए हमें व्यवहारिक बदलाव लाने होंगे।
भारत के सतत विकास की भूमिका पर उन्होंने कहा कि 2030 के वैश्विक सतत विकास एजेंडा की सफलता भारत की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। भारत ने यह जिम्मेदारी स्पष्टता और प्रतिबद्धता के साथ निभाई है। उन्होंने उद्योगों से अपील की कि वे सततता को सिर्फ अनुपालन के रूप में नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के रूप में अपनाएं।
धनखड़ ने ‘ब्रांड इंडिया’ के लिए चार स्तंभ सुझाए- गुणवत्ता, भरोसा, नवाचार और आधुनिक संदर्भ में पुनर्परिभाषित प्राचीन ज्ञान। उन्होंने कहा कि उद्योगों को ग्रीनफील्ड परियोजनाओं और उपेक्षित क्षेत्रों में सीएसआर फंड के माध्यम से विश्वस्तरीय संस्थान स्थापित करने चाहिए। निजी क्षेत्र की भूमिका पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की भूमिका केवल एक सक्षमकर्ता की है। असली ज़िम्मेदारी कॉर्पोरेट क्षेत्र पर है। सरकार अकेले कोई मैच नहीं जीत सकती, उसे उद्योग का सहयोग चाहिए। उपराष्ट्रपति ने उद्योगों से अनुसंधान और कौशल विकास में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत की युवा जनसंख्या सबसे बड़ा पूंजी है, जिसे सही दिशा देना आवश्यक है।

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