लिवर कैंसर और लिवर सिरोसिस के खतरे को 40 प्रतिशत कम कर देती है ये काली चीज, डॉक्टर देते हैं पीने की सलाह

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: लिवर की सेहत को अच्छा रखना है तो कुछ चीजों को आसपास भी नहीं भटकने देना चाहिए। भले ही लिवर के अंदर खुद को ठीक करने की क्षमता होती है और वो अपनी डैमेज सेल्स को आसानी से ठीक कर लेता हो, लेकिन क्रोनिक लिवर इंजरी आसानी से ठीक नहीं होती है। ये धीरे धीरे लिवर की क्षमता को प्रभावित करने लगती है। इसलिए लिवर के मरीज को डॉक्टर ब्लैक कॉफी पीने की सलाह देते हैं। रोजाना ब्लैक कॉफी पीने से लिवर कैंसर और लिवर सिरोसिस का खतरा 40 प्रतिशत कम हो जाता है। जानिए लिवर को कैसे मजबूत बनाएं।

लिवर के लिए ब्लैक कॉफी
कॉफी सिर्फ स्वाद या नींद भगाने के लिए ही नहीं है बल्कि लिवर के लिए दवा का काम करती है। रोजाना 3 कप कॉफी पीने से लिवर सिरोसिस का खतरा और लिवर कैंसर का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है। कॉफी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स लिवर को नया जीवन देने में मदद करते हैं। हालांकि इन फायदों के लिए आपको बिना दूध, क्रीम और बिना चीनी वाली कॉफी पीनी होगी। जी हां सिर्फ ब्लैक कॉफी पीने से ये फायदे मिलेंगे।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर कितना खतरनाक
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। क्योंकि लंबे समय तक इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। ये लिवर को साइलेंट डैमेज पहंचाता है। ऐसा नहीं है सिर्फ ड्रिंक करने वालों को ही फैटी लिवर होता है। जो लोग शराब से दूर रहते हैं उन्हें भी फैटी लिवर होता है। इन दिनों हर 3 में से 1 को फैटी लिवर की समस्या है।

लिवर खराब कैसे होता है?

  1. आप जो भी खाते हैं उसे प्रोसेस करने का काम लिवर करता है। बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द की दवाएं खाने से लिवर को खतरनाक नुकसान हो सकता है। वहीं लंबे समय कर किसी खास ड्रग यानि दवा का सेवन करने से भी लिवर डैमेज हो सकता है। इसलिए दवाएं हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही खाएं।
  2. सिर्फ खाना ही नहीं नींद भी सीधे तौर पर लिवर को प्रभावित करती है। खराब नींद लिवर की सेहत पर असर डाल सकती है। इससे मेटाबॉलिज्म और लिवर का टॉक्सिन्स क्लियरेंस फंक्शन प्रभावित होता है। इसलिए आपको 8-9 घंटे की अच्छी नींद जरूर लेनी चाहिए।
  3. आपके लिवर की अपनी एक खुद की घड़ी होती है। सर्केडियन रिदम मैटर करती है। अगर आप रात में देर से खाना खाते हैं। तो इससे लिवर पर स्ट्रेस पड़ता है और लिवर का टॉक्सिन साइकल प्रभावित होता है। जिससे शरीर में फैट जमा होने लगता है। ये फैट लिवर में भी जमा होने लगता है।

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