सावन में भोलेनाथ को गलती से भी अर्पित न कर दें ये चीजें, पूजा हो जाएगी निष्फल

धर्म { गहरी खोज } : सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा विशेष महत्व रखती है। इस समय भक्त अपने पापों से मुक्ति के लिए, शुद्ध हृदय से शिव पूजा करते हैं। लेकिन इस दौरान कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिन्हें गलती से भी भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पूजा का फल निष्फल हो सकता है या पूजा का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। ये वस्तुएं शास्त्रों के आधार पर अशुभ मानी जाती है। आइए सेलिब्रिटी ज्योतिष चिराग दारुवाला से जानते हैं उन वस्तुओं के बारे में, जिन्हें सावन में भोलेनाथ को अर्पित नहीं करना चाहिए।
तुलसी का पत्ता
शिव पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग निषेध है, खासकर सावन के महीने में। तुलसी का पत्ता विष्णु भगवान को प्रिय माना जाता है, न कि भगवान शिव को। इस कारण से, सावन में भगवान शिव को तुलसी का पत्ता अर्पित करना पूजा को निष्फल कर सकता है। शिव जी को बेलपत्र, फल और अन्य शुद्ध सामग्री अर्पित करनी चाहिए, न कि तुलसी के पत्ते।
शंख से जलाभिषेक
शंख का प्रयोग पूजा में बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन भगवान शिव को शंख से जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है। शंख का प्रयोग विशेष रूप से भगवान विष्णु या अन्य देवी-देवताओं के पूजन में किया जाता है, और यह भगवान शिव के पूजन में नहीं होना चाहिए। शंख से जलाभिषेक करने की बजाय, शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए अन्य साधन जैसे कलश का प्रयोग किया जाता है।
कुमकुम
कुमकुम का उपयोग देवी पूजा में होता है, खासकर दुर्गा माता या लक्ष्मी माता की पूजा में। इसे भगवान शिव की पूजा में अर्पित करना अशुद्ध माना जाता है। भगवान शिव को अभिषेक में शुद्ध पदार्थ जैसे दूध, दही, घी, शहद और जल अर्पित करना चाहिए, न कि कुमकुम।
खंडित बेलपत्र
शिव पूजा में बेलपत्र का अत्यधिक महत्व है। बेलपत्र के तीन पत्ते भगवान शिव के प्रिय होते हैं, लेकिन यदि बेलपत्र खंडित या टूटे हुए हों, तो इन्हें अर्पित नहीं करना चाहिए। टूटे बेलपत्र से पूजा का फल निष्फल हो सकता है। इसलिए, पूजा में हमेशा पूरे और शुद्ध बेलपत्रों का ही प्रयोग करें।
उबला हुआ दूध
दूध भगवान शिव को अर्पित किया जाता है, लेकिन उबला हुआ दूध कभी नहीं अर्पित करना चाहिए। उबला हुआ दूध अपने आप में शुद्ध नहीं होता और इसका प्रभाव पूजा में नकारात्मक हो सकता है। हमेशा ताजा, ठंडा और शुद्ध दूध का ही प्रयोग करें, क्योंकि यह पूजा की भावना को सही रूप से व्यक्त करता है और भगवान शिव को प्रसन्न करता है।
केतकी का फूल
केतकी का फूल, जिसे ‘केतकी पुष्प’ भी कहा जाता है, भगवान शिव की पूजा में निषेध माना जाता है। पुरानी कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने ब्रह्मा के साथ मिलकर तांडव नृत्य किया था, तब केतकी के फूल ने झूठ बोला था। इसलिए, शिव पूजा में केतकी का फूल अर्पित करना अशुभ माना जाता है। इसके बजाय, शिवलिंग पर केवल बेलपत्र, गुलाब, या अन्य शुद्ध फूल अर्पित करने चाहिए।