कोयलांचल क्षेत्र में संयुक्त श्रमिक संगठन की हड़ताल का मिला-जुला असर

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कोरबा/दीपका/गेवरा{ गहरी खोज }: संयुक्त श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर एसईसीएल के कोयलांचल क्षेत्रों में आंशिक रूप से देखने को मिला। गेवरा, दीपका और सेंट्रल वर्कशॉप क्षेत्रों में हड़ताल का प्रभाव क्षेत्रवार अलग-अलग दिखाई दिया। आज सुबह से ही ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों ने खदानों के बाहर मोर्चा संभालते हुए कर्मचारियों को कार्यस्थल पर जाने से रोकने का प्रयास किया। हालांकि, दीपका क्षेत्र में 50प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल से दूरी बनाए रखी, जिसके चलते ओवर बर्डन हटाने का काम, कोयला उत्पादन और कोल हैंडलिंग प्लांट जैसी प्रमुख गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित होती रहीं।
गेवरा क्षेत्र की बात करें तो वहां भी प्रबंधन द्वारा संचालित अधिकांश कार्य निर्बाध रूप से चलते रहे। सेंट्रल वर्कशॉप गेवरा में भी हड़ताल का असर सीमित रहा — यहां ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों को छोड़कर अधिकतर कर्मचारी ड्यूटी पर उपस्थित रहे। इस तरह गेवरा और दीपका खदान क्षेत्रों में हड़ताल का मिला-जुला असर पड़ा, जिससे कोयला उत्पादन या अन्य प्रमुख कार्यों पर कोई बड़ा व्यवधान नहीं आया।
यह हड़ताल संयुक्त ट्रेड यूनियनों द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी आंदोलन का हिस्सा थी, जिसमें श्रमिक हितों, वेतन विसंगतियों और निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।हालांकि, इस हड़ताल से भारतीय मजदूर संघ ने खुद को अलग कर लिया, जिससे खदान क्षेत्रों में इसका पूर्ण असर नहीं हो सका। भारतीय मजदूर संघ की दूरी और प्रबंधन की तैयारी के चलते हड़ताल को व्यापक समर्थन नहीं मिल पाया, और कोयलांचल की अर्थव्यवस्था पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। स्थानीय प्रशासन और खदान प्रबंधन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु सतर्कता बरती, और फिलहाल किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति की सूचना नहीं है।

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