न्यायाधीश के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलना आपराधिक कृत्य, कार्रवाई जरूरी: धनखड़

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के घर से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि किसी न्यायाधीश के विरूद्ध संवैधानिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई करना एक विकल्प हो सकता है लेकिन इसे समाधान नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा है कि यह आपराधिक कृत्य है और इस तरह के मामलों में कार्रवाई किया जाना जरूरी है।
श्री धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, कोच्चि में छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ संवाद के दौरान कहा,“संवैधानिक प्रावधानों के तहत किसी न्यायाधीश के विरुद्ध कार्रवाई करना एक विकल्प हो सकता है,लेकिन यह समाधान नहीं है। हम लोकतंत्र होने का दावा करते हैं और वास्तव में हैं भी। दुनिया हमें एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में देखती है,जहाँ कानून का शासन और कानून के समक्ष समानता होनी चाहिए। ”
उन्होंने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए। उन्होंने इस मामले से संबंधित न्यायाधीश का नाम लिए बिना कहा कि यदि धनराशि इतनी अधिक है तो कई सवाल उठते हैं जिनका पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,“ यह जानना आवश्यक है कि क्या यह काला धन है? इसका स्रोत क्या है? यह किसी न्यायाधीश के सरकारी आवास में कैसे पहुंचा? यह धन किसका है?”
इस घटनाक्रम में कई दंडात्मक प्रावधानों के उल्लंघन का उल्लेख करते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी। उन्होंने कहा,“ मुझे आशा है कि एफआईआर दर्ज की जाएगी। हमें इस मुद्दे की जड़ तक जाना होगा, क्योंकि लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण है। हमारी न्यायपालिका, जिस पर लोगों का विश्वास अडिग है, आज इस घटना के कारण उसकी नींव डगमगा गई है। यह गढ़ हिल गया है।”
उप राष्ट्रपति ने शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक ‘जूलियस सीज़र’ का उल्लेख करते हुए कहा,“ कैसे एक ज्योतिषी ने सीज़र को उनकी मृत्यु के प्रति चेताया था। जब सीज़र ने कहा ‘आइड्स ऑफ मार्च’ यानी 15 मार्च आ गया है तो ज्योतिषी ने उत्तर दिया ‘हां, लेकिन गया नहीं’ और उसी दिन सीज़र की हत्या हो गई। इसी तरह हमारी न्यायपालिका के लिए 14-15 मार्च की रात एक दुर्भाग्यपूर्ण समय रहा। ”
उन्होंने कहा कि एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिली। यह मामला अब सार्वजनिक डोमेन में है और उच्चतम न्यायालय ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा,“ इस स्थिति में सबसे पहले इसे एक आपराधिक कृत्य मानकर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए थी। दोषियों की पहचान कर उन्हें न्याय के कटघरे में लाना चाहिए था, लेकिन अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के 1990 के दशक के एक निर्णय के कारण विवश है।”
उप राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से समस्याओं से जूझने का साहस रखने का आह्वान करते कहा,“ हमें समस्याओं का सामना करने का साहस रखना चाहिए। विफलताओं को तर्कसंगत ठहराने की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हम उस राष्ट्र के नागरिक हैं जिसे वैश्विक विमर्श को दिशा देनी है। हमें एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जहाँ शांति और सौहार्द हो। हमें पहले अपने ही संस्थानों के भीतर असहज सच्चाइयों का सामना करने का साहस रखना चाहिए। ”
न्यायपालिका की स्वतंत्रता की वकालत करते हुए उन्होंने कहा,“ मैं न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रबल पक्षधर हूं। मैं न्यायाधीशों की सुरक्षा के पक्ष में हूं। वे कार्यपालिका के विरुद्ध निर्णय देते हैं,और विधायिका के मामलों को भी देखते हैं। हमें उन्हें तुच्छ मुकदमों से बचाना चाहिए। लेकिन जब कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तो चिंता स्वाभाविक है।”
उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर एक स्टोर में 14 मार्च की रात लगी आग में 500 रूपये की आंशिक रूप से जली हुई गड्डियां मिली थी। न्यायमूर्ति वर्मा ने इस मामले में निर्दोष होने का दावा किया है जबकि उच्चतम न्यायालय की आंतरिक जांच समिति ने उनके खिलाफ महाअभियोग चलाये जाने की सिफारिश की है।