हत्या के मामले में वांटेड 40 हजार का इनामी अपराधी गिरफ्तार, ड्रग्स तस्कर भी दबोचा

साइक्लोनर टीम का ऑपरेशन अस्मिता भ्रम और ऑपरेशन भलाल देव
जोधपुर{ गहरी खोज }: जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल कर ऐसे दो अपराधियों की धरपकड़ की है जोकि नशे के कारोबार से लेकर हत्या जैसे जघन्य अपराध में लिप्त रहे है। इन पर 65 हजार का इनाम भी घोषित हो रखा था और वे दो साल से फरार चले आ रहे थे। साइक्लोनर टीम को जैसे जैसे उनका पता लगा और पीछे लगी, आखिर में उन्हें पकड़ पाने में सफलता हासिल की। इसके लिए पुलिस ने ऑपरेशन अस्मिता भ्रम और ऑपरेशन भलाल देव चलाया।
रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया कि 2 साल से हत्या जैसे जघन्य घटना को अंजाम देकर फरार चल रहे पीपाड़ के चिरढाणी निवासी विष्णु उर्फ ठेकेदार पुत्र पप्पाराम को ऑपरेशन अस्मिता भ्रम और मादक पदार्थों की लम्बे समय से तस्करी कर रहे चित्तौडग़ढ़ के निम्माहेड़ा निवासी भैरूलाल देवासी पुत्र मांगीलाल को ऑपरेशन भलाल देव चलाकर गिरफ्तार किया गया।
आईजी विकास कुमार ने बताया कि विष्णु उर्फ ठकेदार की गिरफ्तारी पर 40 हजार और चित्तौड़गढ़ के भैरूलाल की गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित हो रखा था। इनामी विष्णु जयपुर के जौहरी बाजार से और फरार भैरूलाल जयपुर जिले के फुलेरा जंक्शन से पुलिस की गिरफ्त में लिया गया।
आईजी विकास कुमार ने बताया कि विष्णु और उसके साथियों ने पहचान के भ्रम में किसी और के स्थान पर श्याम की ह्त्या कर दी थी। पिछले दो साल से अपनी पहचान बदल कर जयपुर में बैठकर विष्णु पुलिस को भ्रम में डाले बैठा था। पुलिस को उसकी पहचान का पता ही नहीं चलता था और पुलिस भी भ्रम में रहती थी।
भैरूलाल देवासी के नाम के वर्णों से भैरू से ‘भ’ और लाल और देवासी से देव निकाल कर ऑपरेशन का नाम भलालदेव रखा गया। उसने फैक्ट्री में डोडा की आपूर्ति से शुरू कर डोडा की आपूर्ति की फैक्ट्री बना ली। उसका पढाई में मन न लगने पर पढा़ई छोड़ कर घर के पास ही मांगरोल की सीमेंट की फैक्ट्री में ट्रेक्टर चलाने लगा था। वहां के मजदूरों को आस पास के अड्डों से डोडा लाकर आपूर्ति करके थोड़े पैसे जोड़ लेता था। दो- दो किलो से शुरू कर जब क्विंटल में सप्लाई करने लगा भैरु तो स्थानीय पुलिस की निगाहों में चढ़ गया।
आईजी विकास कु मार ने बताया कि एक दिन आखिरकार निम्बाहेड़ा सदर पुलिस के हत्थे वह चढ़ गया और ट्रेक्टर पर दो क्विंटल डोडा लेकर आया था। जेल पंहुचने पर वहां उसका परिचय एक मजदूर के रिश्तेदार हनुमान से हुआ। परिचय गहरा हुआ तो बड़े पैमाने पर डोडा की आपूर्ति का धंधा शुरू कर दिया था। दोनों ने मिलकर जेल से ही धंधा करना शुरू कर दिया। जब बाहर आया तो पैसे बरसने लगे तब मजदूरों को आपूॢत छोड़ दी। फिर फुलटाइम सप्लायर बन गया। उसने बाद में एक और हनुमान नाम के शख्स से हाथ मिला दिया पहले वाला पुलिस गिरफ्त में आया हुआ था। दूसरा हनुमान नाम का शख्स बाड़मेर का रहने वाला था। जब दोनों का कारोबार अच्छा चला तो पहले वाले हनुमान के भाई को यह बात नागवार लगी। इस पर उसने साजिशपूर्ण तरीके से उनकी बड़ी खेप को बाड़मेर की आजीटी थाना पुलिस के हाथों पकड़वा दिया।
तस्करी के इस खेल में एक और सामने आई कि जिस भैरूलाल को बाड़मेर का पता नहीं था वह भी बाड़मेर पुलिस की नजरों में चढ़ गया और उस पर 25 हजार का इनाम घोषित कर दिया गया। वह अपनी फरारी काटने के लिए बार नाम पते बदल रहा था। इधर हनुमान के भाई द्वारा अपने मुखबिरों से बार बार उसका ठिकाना पता लगाया जा रहा था। आखिरकार उसी के मुखबिरों ने साइक्लोनर टीम को उसकी जानकारी दी। वह खाटू श्याम गया था और खाटू बाबा की शरण ली थी, मगर बाबा के दर्शन कर रींगस से ट्रेन पकड़कर घर लौटने लगा था तब साइक्लोनर टीम ने उसे फुलेरा स्टेशन पर टे्रन के इंतजार में पकड़ लिया।
अपराधी विष्णु की कहानी भी कुछ अलग है। उसके पिता ट्रक ड्राइवर है। एक भाई फौज में है। पिता की इच्छा थी कि वह भी सरकारी नौकरी करें, इसके लिए उसे शारीरिक शिक्षा की डिग्री दिलाई। उसे सूरतगढ़ भेजा गया था। जहां वह अपनी मजबूत कदकाठी और दबंग स्वभाव के कारण बदमाश किस्म के आवारा लडक़ों की संगत में आ गया। आवार दोस्त कहीं भी मारपीट करते तो विष्णु का सहारा लेते थे।
आवारा दोस्तों के संग से जोधपुर चेराई गांव में अपने एक दोस्त के इशारे पर दोस्त के तथाकथित दुश्मन स्टोन कटर मालिक को सबक सिखाने गया था। वह पहचान में भ्रम पाल बैठा और किसी अन्य श्याम पालीवाल की हत्या कर बैठा। रंगदारी के झूठे दंभ से भरे विष्णु को श्यामलाल का रवैया पसंद नहीं आने पर उसे चाकू मार दिया था। उसके तीन साथी तो पहले पकड़े गए मगर विष्णु अपनी पहचान छुपाने के साथ भागता फिर रहा था। वह कभी कमठा मजदूर बना तो कभी कपड़े की दूकान पर सेल्समैन तो कभी विद्यार्थी बनकर अपना बचाव करता रहा। महिने के 10 दिन कमठा मजदूरी करता तो शेष 20 दिन विद्यार्थी बनकर परीक्षा की तैयारी करता था। तीन साल तक पुलिस उसे पकडऩे के प्रयास में जुटी हुई थी।
वह अपनी पहचान छुपाए हुए था। आखिरकार साइक्लोनर टीम को पुख्ता सूचना मिली तो पुलिस कपड़े की दुकान पर ग्राहक बनकर गई। जयपुर के जौहरी बाजार से उसे पकड़ा जा सका। तीन साल तक फरारी से परेशान पुलिस ने उससे पहले 40 हजार का इनाम घोषित कर दिया। वह हत्याकांड में शामिल एक आरोपित के भाई को न्यायालय में पैरवी के गुर सिखाता रहता था।