भारतीय उपसेना प्रमुख ले. जनरल

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संपादकीय { गहरी खोज }: उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (क्षमता विकास एवं संधारण) राहुल आर सिंह ने फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान सामने का चेहरा था और चीन ने भारत को पीडा पहुंचाने के लिए उसका इस्तेमाल किया। तुर्किये भी इस्लामाबाद को सैन्य साजोसामान की आपूर्ति करके प्रमुख भूमिका निभा रहा था। वास्तव में उस वक्त भारत अपने तीन शत्रुओं से निपट रहा था। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने चीन की 36 चालों की प्राचीन सैन्य रणनीति और दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर दुश्मन को मारने की रणनीति का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बेजिंग ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान को हरसंभव समर्थन दिया। ‘दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर’ दुश्मन को मारने का मतलब है कि दुश्मन को पराजित करने के लिए, सीधे शामिल हुए बिना, किसी तीसरे पक्ष का इस्तेमाल करना, अर्थात, चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया। भारतीय सेना के क्षमता विकास और संधारण संबंधी कार्य देखने वाले उप सेना प्रमुख ने कहा कि इस्लामाबाद को बेजिंग का समर्थन आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों का 81 फीसद सैन्य साजोसामान चीन से आता है। उन्होंने कहा, भारत के खिलाफ पाकिस्तान केवल सामने का चेहरा था, जबकि असली समर्थन चीन से मिल रहा था। हमें इसमें कोई हैरानी नहीं हुई। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, वह (चीन) उत्तरी सीमा पर खुद सीधे टकराव में पड़ने के बजाय भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पड़ोसी देश (पाकिस्तान) का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करता है। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि तुर्किये ने भी पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, हमने युद्ध के समय और युद्ध क्षेत्र में कई ड्रोन आते और उतरते देखे, साथ ही वहां मौजूद व्यक्तियों की गतिविधियां भी देखी गई। सैन्य अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को इस संघर्ष से सबक सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, अगला महत्त्वपूर्ण सबक सी4आइएसआर (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रीकानिसन्स) और नागरिक सैन्य संलयन का महत्त्व है। जहां तक इस क्षेत्र का सवाल है, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उप सेना प्रमुख ने कहा, जब डीजीएमओ स्तर की वार्ता चल रही थी, तो पाकिस्तान वास्तव में यह उल्लेख कर रहा था कि हम जानते हैं कि आपका अमुक ‘वेक्टर’ (मिसाइल प्रणाली) सक्रिय है और कार्रवाई के लिए तैयार है, और हम आपसे अनुरोध करेंगे कि शायद आप इसे वापस ले लें। इसलिए उन्हें चीन से सीधी सूचना मिल रही थी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमें वास्तव में तेजी से आगे बढ़ने और उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
भारतीय उपसेना प्रमुख ले. जनरल (क्षमता विकास एवं संधारण) ने जिन तथ्यों को सार्वजनिक किया है उस से यह बात स्पष्ट है कि चीन हमारे ऊपर पूरी नजर रखे हुआ है। युद्ध के दौरान भारत क्या करने जा रहा है या सोच रहा है उसे चीन पाकिस्तान को बता रहा था तो यह भारत की एक कमजोरी भी है और भारत के लिए एक चुनौती भी है। इस कमजोरी को दूर करना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए। पाकिस्तान-चीन के कितने गहरे रिश्ते हैं यह भारत सहित विश्व जानता था, लेकिन ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के समय चीन ने जो भूमिका निभाई उसको देखते हुए भारत को और अधिक सतर्क व सावधान होने की आवश्यकता है। आज तो चीन ने पाकिस्तान के कंधे का इस्तेमाल किया है, कल कंधे से कंधा मिलाकर भारत विरुद्ध खड़ा भी हो सकता है।
तुर्किये पाकिस्तान व बांग्लादेश दोनों के साथ खड़ा है और यह दोनों देश भारत विरुद्ध है। इसलिए भारत को तीन नहीं चार दुश्मन देशों को सामने रखकर अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। बिना किसी विलम्ब भारत को इस दिशा में सक्रिय हो कार्य शुरू करना चाहिए।

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