अमित शाह ने रखी देश की पहली सहकारिता यूनिवर्सिटी की आधारशिला, जुड़ेंगी 20 लाख सहकारी संस्थाएं

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ANAND, JULY 5 (UNI) Union Home Minister Amit Shah being received at the ‘Bhoomi Pujan’ and lay the foundation stone ceremony of the country's first national level cooperative university 'Tribhuvan Sahkari University' at Anand, in Gujarat on Saturday. UNI PHOTO-28u

आणंद { गहरी खोज } : अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर गुजरात के आणंद में देश की पहली सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी (TSU)’ की आधारशिला रखी गई। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी विश्वविद्यालय का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। यह यूनिवर्सिटी 125 एकड़ भूमि में आणंद कृषि विश्वविद्यालय के पास स्थित वॉटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के परिसर में स्थापित की जाएगी।
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के अतीत, वर्तमान और भविष्य के लिए यह एक अद्वितीय और प्रेरणादायक क्षण है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गांव, गरीब और किसान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी इस दिशा में एक ठोस कदम है।
शाह ने कहा कि यूनिवर्सिटी का उद्देश्य अगले 5 वर्षों में देशभर की 20 लाख से अधिक सहकारी संस्थाओं, जैसे PACS, डेयरी, मछली पालन के कर्मियों को आधुनिक प्रशिक्षण और कौशल उपलब्ध कराना है। यह यूनिवर्सिटी ग्राम-स्तरीय सहकारिता संस्थाओं को मजबूती प्रदान करेगी और नवाचार को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून, ग्रामीण विकास, और डेटा एनालिटिक्स जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अंतर्गत पीएचडी प्रोग्राम्स, मैनेजमेंट डिग्री कोर्स, सुपरवाइजरी डिप्लोमा, ऑपरेशनल लेवल के सर्टिफिकेट कोर्स शैक्षिक कार्यक्रम होंगे।
यूनिवर्सिटी विशेष विषयों पर आधारित स्कूल और अन्य राज्यों में भी सैटेलाइट कैंपस शुरू करेगी। इसके साथ ही एक नेशनल नेटवर्क तैयार किया जाएगा जिससे सहकारी शिक्षा में गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित हो। यूनिवर्सिटी का लक्ष्य अगले 4 वर्षों में देशभर की 200 से अधिक सहकारी संस्थाओं को जोड़ने का है।
केंद्रीय मंत्री ने भविष्य की योजनाओं की ओर संकेत देते हुए कहा कि सरकार कोऑपरेटिव टैक्सी और बीमा सेवाओं की शुरुआत की योजना बना रही है। उन्होंने सभी सहकारी संगठनों और युवाओं से यूनिवर्सिटी से जुड़ने और देश के सहकार आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का आह्वान किया।
यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जेएम व्यास ने जानकारी दी कि आगामी एक वर्ष में कुल 6 कोर्स शुरू किए जाएंगे, जिनमें से पहले चरण के 3 कोर्स की शुरुआत 3 महीने में की जाएगी। यह यूनिवर्सिटी न केवल भारत, बल्कि विश्व की पहली पूर्ण सहकारी यूनिवर्सिटी होगी। अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, राज्य मंत्रीगण, सहकारिता क्षेत्र के वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में सहकारी संस्थाओं से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रशिक्षित छात्रों की नियुक्ति से सहकारी संस्थाओं में भाई-भतीजावाद समाप्त होगा और पारदर्शिता और कार्यकुशलता आएगी। इस यूनिवर्सिटी में डेटा एनालिसिस, नीति निर्माण, अनुसंधान और नेतृत्व विकास जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शाह ने कहा कि आज भारत की 30 करोड़ से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में सहकारी क्षेत्र से जुड़ी है, इसलिए इस यूनिवर्सिटी की भूमिका देश के ग्रामीण आर्थिक विकास में बेहद महत्वपूर्ण होगी।
शाह ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन दास काशीदास पटेल के नाम पर रखा गया है, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और सहकारी आंदोलन के अग्रदूत थे। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. वर्गीज कुरियन को विदेश भेजने और अमूल के आंदोलन को प्रारंभ करने में त्रिभुवन दास पटेल की केंद्रीय भूमिका थी।

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