सरकार की GST ने भर दी झोली, 5 साल में दोगुना हो गया कलेक्शन, टैक्सपेयर्स की संख्या में भी उछाल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: देश में 1 जुलाई 2025 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू हुए 8 साल हो जाएंगे। यह 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल में GST कलेक्शन दोगुना हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22।08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। यह एक साल पहले के कलेक्शन के मुकाबले 9।4 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2020-21 में GST कलेक्शन का आंकड़ा 11.37 लाख करोड़ रुपये था।
आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में GST का एवरेज मंथली कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था। 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कुल GST कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान GST कलेक्शन बढ़कर 14।83 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 18.08 लाख करोड़ रुपये, 2023-24 में 20.18 लाख करोड़ रुपये और 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया।
GST ने देश में इनडायरेक्ट टैक्सेज के मकड़जाल को हटाकर उसकी जगह एक सिंगल इंटीग्रेटेड सिस्टम को स्थापित किया। हाल ही में आई डेलॉइट की ‘GST@8’ टाइटल वाली रिपोर्ट में GST के लिहाज से पिछले वर्ष को बेहद ही सफल करार दिया गया है।
GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 2017 में 65 लाख थी। 8 साल में यह बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘लागू होने के बाद से, जीएसटी ने रेवेन्यू कलेक्शन और टैक्स बेस को बढ़ाने में मजबूत वृद्धि दिखाई है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और इनडायरेक्ट टैक्सेशन को अधिक एफिशिएंट और पारदर्शी बनाया है।’’
भारत में GST की दरें GST परिषद तय करती है। इस परिषद में केंद्र और राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। GST में रेट के वर्तमान में 4 स्लैब हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देशभर में ज्यादातर सामान और सेवाओं पर लागू होती हैं।
तंबाकू प्रोडक्ट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और मोटर व्हीकल जैसे चुनिंदा सामानों पर GST की अलग-अलग दरों के साथ GST कंपंजेशन सेस भी लगाया जाता है। इस सेस का इस्तेमाल राज्यों को GST सिस्टम को अपनाने के चलते रेवेन्यू में होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। सरकारी बयान में कहा गया, ‘GST कंस्यूमर फ्रेडली रिफॉर्म है। कई टैक्सेज को हटाने और नियमों का पालन आसान बनाए जाने से ऐवरेज टैक्स रेट घटे हैं। इससे टैक्स बेस बढ़ा है और सरकार को कई जरूरी चीजों पर रेट घटाने में मदद मिली है।’ इसके मुताबिक, ‘अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाइयों पर अब कम टैक्स रेट लग रहा है। फाइनैंस मिनिस्ट्री की एक स्टडी के मुताबिक, जीएसटी से परिवारों को अपने नासिक खर्च में कम से कम 4% बचत करने में मदद मिली है। उपभोक्ता अब दैनिक जरूरतों पर कम खर्च करते हैं।”
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘डेलॉयट की हाल में आई GST@8 रिपोर्ट में पिछले साल को जीएसटी के लिए ब्लॉकबस्टर बताया गया। इसमें कहा गया कि सरकार के समय पर किए गए सुधारों, टैक्सपेयर्स के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों और जीएसटी पोर्टल को अपग्रेड किए जाने से यह सफलता मिली।’ डेलॉयट के इसी सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया कि उद्योग जगत के 85% लोगों ने अपने सकारात्मक अनुभव की जानकारी दी है। बयान में कहा गया, ‘लगातार चौथे साल सेंटिमेंट में सुधार हुआ है।
जीएसटी लागू होने के 8 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 2017 को इसे लॉन्च किया गया था। इसके तहत 17 अलग-अलग स्थानीय टैक्स और 13 उपकरों (cesses) को मिलाकर पांच टैक्स स्लैब बनाए गए, जिससे टैक्स सिस्टम सरल हुआ और व्यापारियों को भी राहत मिली। अप्रैल 2025 में जीएसटी वसूली ₹2.37 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, जो किसी भी महीने में अब तक की सबसे अधिक वसूली थी। मई 2025 में यह आंकड़ा ₹2.01 लाख करोड़ रहा। जून के आंकड़े 1 जुलाई को जारी किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि जीएसटी ने भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया है और अब यह एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी टैक्स सिस्टम का उदाहरण बन चुका है

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