आईवीआरआई जैसी संस्थाएं जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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बरेली (उप्र){ गहरी खोज }: राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जैव विविधता के महत्व को दर्शाते हुए सोमवार को कहा कि पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) जैसी संस्थाओं से अपील है कि वे जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें। यहां आईवीआरआई के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित 11वें दीक्षांत समारोह में उपाधि व पुरस्कार वितरण के बाद अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यह धरती जैव विविधता से खुशहाल होती है।
उन्होंने अपने बचपन की यादों का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘हम जब छोटे थे तब बहुत सारे गिद्ध थे, लेकिन आज गिद्ध लुप्‍त हो गए हैं।’’ मुर्मू ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि गिद्ध के विलुप्त होने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वालीं रासायनिक दवाओं की भूमिका है। बहुत सारे कारणों में यह भी एक कारण है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है।’’
उन्होंने दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए वैज्ञानिकों के प्रति आभार जताया और कहा, ‘‘और भी प्रजातियां विलुप्‍त हो रहीं हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही आवश्यक है। आईवीआरआई जैसे संस्‍थाओं से अपील है कि वे जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें।’’ उन्होंने कहा कि उपचार से बेहतर रोकथाम है और यह पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी यह लागू होता है। समारोह में मौजूद विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आज पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर काफी गर्व महसूस कर रही हूं। बेटियां अन्य क्षेत्रों की तरफ पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह बहुत ही शुभ संकेत है।’’
मुर्मू ने महिलाओं को आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि गांवों में पशुओं, गायों की सेवा मां-बहनें करती थीं, क्योंकि माता-बहनों से उनका जुड़ाव है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप (विद्यार्थियों) सबने बेजुबान पशुओं की चिकित्‍सा को ‘करियर’ के रूप में चुना ह‍ै और मैं चाहती हूं कि आपमें कल्याण की भावना बनी रहे और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी इसी मूल भावना से कार्य करते रहेंगे।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरी सलाह है कि जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण आए, आप उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए जिनके कल्‍याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है, आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पशु के लिए ‘पशु’ शब्द अनुचित है क्योंकि वे ‘जीवन धन’ हैं, उनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पशु हमारे लिए ‘साधन’ और किसानों के लिए ‘बल’ रहे हैं।’’
राष्ट्रपति ने पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा एवं देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। प्रौद्योगिकी के प्रयोग से देशभर के पशु चिकित्सकों को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम अनुक्रमण, ‘एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी’, कृत्रिम मेधा जैसी प्रौद्योगिकी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं।’’
राष्ट्रपति ने पशु विज्ञान के क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुए उपस्थित विद्यार्थियों से कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान (आईवीआरआई) में पशु विज्ञान इनक्यूबेटर है। आपको इस सुविधा का लाभ लेते हुए अपने उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे आप न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कर पाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्वभर के प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योगों में सेवारत यहां (आईवीआरआई) के पूर्व विद्यार्थी भी इस कार्य में आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं।”
मुर्मू ने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। पशुओं से हमारे देवताओं और ऋषि-मुनियों का संवाद होता था। यह मान्यता भी इसी सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में हैं। ऐसे प्रसंगों का उल्लेख मैं यहां इसीलिए कर रही हूं कि जब आप चिकित्सा और शोधकर्ता के रूप में कम करें तो बेजुबान जानवरों के कल्याण की भावना आपके मन में हो।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सच कहें तो पशु और मानव का परिवार जैसा रिश्ता है। पूर्व में जब प्रौद्योगिकी का कोई साधन नहीं था तब पशु ही हम लोगों का साधन और बल हुआ करते थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकता।’’ इसके पहले अपने संबोधन में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा अन्य प्रमुख लोगों ने राष्ट्रपति का स्वागत किया।

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