‘संविधान हत्या दिवस’ नाम कठोर लेकिन तानाशाह सरकार के अत्याचार के अनुरूप: शाह

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }:केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश के इतिहास के काले अध्याय यानी आपातकाल लागू करने के दिन का नाम ‘संविधान हत्या दिवस’ सुनने में भले ही कठोर लगे लेकिन यह नामकरण सोच समझकर किया गया है क्योंकि उस कालखंड में पूरे देश को ही जेल बनाकर स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का गला दबा दिया गया था।
श्री शाह ने देश में आपातकाल लगाये जाने के 50 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को यहां आयोजित ‘संविधान हत्या दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य देशवासियों विशेष रूप से युवाओं और भविष्य की पीढियों को तत्कालीन तानाशाह सरकार के अत्याचार और अन्याय से अवगत कराना है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आपातकाल पर पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज’ का भी विमोचन किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक श्री मोदी के 25 वर्ष की उम्र में आपातकाल के दौरान भूमिगत रहकर कार्य करने के अनुभव और उस समय देश के माहौल पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि जब ‘संविधान हत्या दिवस’ नाम तय किया जा रहा था तो लगा था कि यह बहुत कठोर है लेकिन यह सोच समझकर रखा गया क्योंकि उस समय देश को ही जेल बना दिया गया था और संविधान की हत्या कर दी गयी थी। उन्होंने कहा कि ‘द इमरजेंसी डायरीज’ नाम की इस पुस्तक में उस कालखंड के संघर्ष को प्रकट किया गया है। उस समय श्री मोदी भूमिगत रहकर काम करते थे और आपातकाल के विरोध में तानाशाह विचारों का विरोध कर रहे थे। वह वेश बदलकर अलग अलग जगहों पर छोटे मोटे काम करते थे और आपातकाल के पीड़ितों की हरसंभव मदद करते थे। युवाओं से आग्रह है कि वे इस पुस्तक को जरूर पढें।
श्री शाह ने कहा कि आपातकाल देश की सुरक्षा के नाम पर लागू किया गया था लेकिन वास्तव में यह परिवारवाद और सत्ता की कुर्सी की सुरक्षा के लिए लगाया गया था। उन्होंने कहा कि लेकिन देश ने इसे सफल नहीं होने दिया और नरेन्द्र मोदी जैसे पार्टी के कार्यकर्ता को प्रधानमंत्री बनाकर परिवारवाद को बढाने वाली सोच को ही ध्वस्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि यह दिन इसलिए याद रखना और मनाना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति तानाशाही सोच को देश पर दोबारा न थोप दे। उन्होंने कहा कि उस समय सत्ता प्रथम की सोच थी लेकिन श्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र सर्वप्रथम की सोच पर देश आगे बढ रहा है और वर्ष 2047 में भारत को दुनिया में हर क्षेत्र में प्रथम लाने के लिए एकजुट होकर प्रयास किया जा रहा है।