बारिश में सबसे ज्यादा कौन-सी बीमारियां होती हैं? कैसे इनसे बचाव करें

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: मई, जून की तेज गर्मी के बाद बारिश का मौसम सुहावना जरूर लगता है लेकिन उस समय तापमान और उमस के बढ़ने से हवा में कीटाणु भी आसानी से पनपने लगते हैं। कई प्रकार के संक्रमण होते हैं जो बारिश के मौसम में आसानी से बढ़ने लगते हैं। बारिश के मौसम में स्किन एलर्जी, मलेरिया और फ्लू इंफेक्शन जैसी बीमारी के मामले सामने आने लगते हैं। बारिश के मौसम में नमी, गंदा पानी, मच्छर और गंदगी से संक्रमण (Infections) और वायरल बीमारियां तेजी से फैलती हैं। सही जानकारी और थोड़ी सावधानी से इन बीमारियों से बचाव संभव है।

भारत में मानसून जून महीने से शुरू होकर सितंबर तक रहता है। यह वह समय होता है, जब बीमारी फैलाने वाली बैक्टीरिया और मच्छर अपने चरम पर होते हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और टाइफाइड जैसी घातक बीमारियां बरसात के मौसम में आम बीमारियां हैं और इनमें से लगभग सभी में बुखार, कमजोरी, शरीर में दर्द जैसे कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं। इस सीजन में स्वास्थ्य समस्याओं से खुद को बचाने के लिए आपको अच्छी तरह से तैयार रहना चाहिए।

बारिश में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियां

1 डेंगू और मलेरिया

बारिश के बाद जगह-जगह पानी जमा हो जाता है जैसे गमले, टायर, नालियां या छतों पर। यही पानी मच्छरों की पैदाइश का घर बनता है। जिससे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।मच्छरों के कारण फैलने वाली ये बीमारियां तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और प्लेटलेट्स की गिरावट जैसी समस्याएं पैदा करती हैं।

2 टाइफाइड

यह संक्रमित भोजन या पानी से फैलता है। बारिश के दौरान अक्सर नल का पानी या टैंक का पानी गंदा हो जाता है। बारिश का पानी सीवेज के पानी से मिलकर पीने के पानी को संक्रमित कर देता है। इस दूषित पानी से Salmonella Typhoid नामक बैक्टीरिया शरीर में पहुंचता है, जो टाइफाइड का कारण बनता है। इसमें तेज बुखार बनने लगता है। पेट दर्द, कमजोरी, भूख न लगना इसके लक्षण हैं।

3 वायरल फीवर / फ्लू

अचानक तापमान में बदलाव के कारण सर्दी, खांसी, बुखार आम हो जाता है। बारिश से पहले और बाद में तापमान में उतार-चढ़ाव होता है कभी गर्म, कभी ठंडा। इससे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है और वायरल बुखार, सर्दी-खांसी हो जाती है।

4 लेप्टोस्पायरोसिस

बारिश के पानी में मौजूद बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होती है यह बीमारी होती है। जब कोई व्यक्ति बारिश के पानी में चला जाता है जहां चूहों या जानवरों का मूत्र मिला होता है। यह पानी त्वचा में कट, छिलने या खरोंच के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर सकता है।

5 पेट की बीमारियां (Diarrhea, हैजा)

मानसून में खुले खाने में बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं। सड़क किनारे मिलने वाला चाट, गोलगप्पे, पानीपूरी, कटे फल आदि जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। गंदा या खुले में रखा खाना खाने से Diarrhea,दस्त, उल्टी और डिहाइड्रेशन हो सकता है।

6 फंगल इन्फेक्शन और स्किन एलर्जी

नमी के कारण स्किन पर खुजली, लालपन, रैशेज या फंगल संक्रमण बढ़ जाते हैं। लगातार गीले कपड़े पहनने या भीगने के बाद साफ-सफाई न रखने से पसीना और नमी स्किन पर जम जाती है जिससे फंगल इन्फेक्शन, खुजली, दाने और स्किन एलर्जी होने लगती हैं।

कैसे करें इनसे बचाव?

1 स्वच्छता बनाए रखें, हाथ धोने की आदत डालें (खाने से पहले और बाहर से आने के बाद)
2 खुले में रखा या कटे-फटे फल न खाएं, उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं
3 मच्छरों से बचाव करें, मच्छरदानी, रेपेलेंट क्रीम और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
4 रोज़ाना नहाएं और कपड़े बदलें, घर और आसपास पानी जमा न होने दें।
5 सूखा और साफ कपड़ा पहनें, भीगे कपड़े स्किन इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं।
6 बचाव के लिए सही आहार लें, हल्का, पचने वाला और ताजा खाना खाएं।
7 विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें लें ताकि इम्यूनिटी बनी रहे

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