योग और संगीत की जुगलबंदी से कई बीमारियों की होगी छुट्टी

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: लोग जब दुखी होते हैं तो सैड सॉन्ग सुनते हैं जिसका करिश्माई असर दिमाग पर होता है, मन को शांति मिलती है और जब खुश होते हैं तो हैप्पी सॉन्ग्स आपकी खुशी को और बढ़ा देते हैं। इसी तरह Devotional songs आपके रुह को सुकून देते हैं। भक्ति भाव जगाते हैं आत्मा को शांत करते हैं डीप मेडिटेशन में ले जाते हैं। सीधे-सीधे कहें तो ये दवाई की तरह है और तभी तो दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट्स अब बीमारियों के इलाज में, मेडिसिन के साथ म्यूजिक का सहारा लेने लगे हैं।
अब मिशिगन यूनिवर्सिटी की स्टडी को ही ले लीजिए 98% लोगों ने ये माना कि संगीत से उनकी सेहत में सुधार आया। 75% लोगों को तनाव कम करने में मदद मिली। 65% लोगों ने अपना मूड ठीक किया। इस स्टडी में अलग-अलग थेरेपी का सहारा लिया गया। सुनकर आपको हैरानी होगी कि जिनको सुनने में दिक्कत होती थी उन्हें एक खास वक्त पर,बार-बार सॉन्ग सुनाया गया। इस रिसेप्टिव थेरेपी से उनकी हियरिंग कपैसिटी बढ़ गई। इसी तरह स्ट्रोक और सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी वाले लोगों को थेरेपिस्ट ने इंस्ट्रुमेंट बजाना सिखाया जो बहुत कारगर साबित हुआ। इम्प्रोवाइजेशन म्यूजिक थेरेपी का जबरदस्त फायदा उन पर दिखा।
जो लोग डिप्रेशन-अकेलेपन की गिरफ्त में थे उन्हें थेरेपिस्ट ने कोई धुन बनाने को कहा और इस कम्पोजिशनल थेरेपी से उनकी सोच बदली। इसी तरह डिमेंशिया के मरीजों को गाने का एक हिस्सा सुनाकर उसे दोहराने को कहा गया इससे उनकी याद्दाश्त मजबूत हुई। म्यूजिक थेरेपी का पॉजिटिव असर ना सिर्फ मेंटल हेल्थ पर दिखता है। ये हार्ट पेशेंट्स के लिए भी संजीवनी है स्टडी के दौरान हार्ट पेशेंट को सुबह-शाम रुटीन में म्यूजिक सुनाया गया इससे दिमाग में डोपामाइन-एंडोर्फिन जैसे हार्मोन्स रिलीज हुए जिन्होंने एंग्जायटी को खत्म कर हार्ट मसल्स को रिलेक्स करने का काम किया।तो ऐसे में देर मत कीजिए आप भी योग-संगीत की जुगलबंदी शुरु कर दीजिए ताकि दिल-दिमाग ठीक रहे।

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