MSP पर मूंग खरीदी की व्यवस्था में सुधार करे सरकार, दिग्विजय सिंह ने सीएम मोहन यादव को लिखा पत्र

भोपाल{ गहरी खोज }: राज्यसभा सांसद एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक पत्र लिखकर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग खरीदी की प्रभावी एवं न्यायसंगत व्यवस्था की मांग की है। सीएम यादव को संबोधित इस पत्र में सिंह ने बताया है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 में लगभग 14.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की बुवाई की गई है, जिससे 20-21 लाख टन मूंग उत्पादन की संभावनाएं व्यक्त की गई थीं। सिंह ने कहा राज्य सरकार के एपीसी द्वारा मूंग में वीडिसाइड पाए जाने का हवाला देते हुए MSP पर खरीदी से इनकार किया गया, जो कि न केवल अव्यावहारिक था बल्कि किसानों के हितों के प्रतिकूल भी था। इसके कारण बाजार में मूंग के दामों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
पत्र में सिंह ने लिखा कि इस असंवेदनशील निर्णय के विरुद्ध 32 से अधिक मूंग उत्पादक जिलों के किसान, किसान संगठन एवं कांग्रेस पार्टी द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन किया गया, जिसके पश्चात अंततः राज्य सरकार द्वारा मूंग की MSP पर खरीदी की घोषणा की गई।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अनुरोध किया है कि मध्यप्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग खरीदी की प्रभावी एवं न्यायसंगत व्यवस्था के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएं:
- उपार्जन की स्पष्टता: प्रति एकड़ कितनी उपज की खरीदी की जाएगी, इसकी स्पष्टता की जाए।
- न्यायोचित आर्थिक सहायता: जिन किसानों ने डैच् पर खरीदी न होने के निर्णय के कारण मूंग को बाजार में कम दर पर बेचने को विवश होना पड़ा, उन्हें मंडी के आंकड़ों के आधार पर आर्थिक अंतर भरपाई प्रदान की जाए।
- पंजीयन पोर्टल की तकनीकी समस्याएं: पंजीयन पोर्टल बार-बार ठप हो रहा है, जिससे किसान पंजीयन नहीं कर पा रहे हैं। सर्वर को तत्काल दुरुस्त किया जाए और अतिरिक्त आईटी संसाधनों की व्यवस्था की जाए।
- गिरदावरी न होने की स्थिति में व्यवस्था: जिन किसानों की गिरदावरी नहीं हुई है या जिनके खसरे पंजीयन पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं हो रहे, उनके लिए संबंधित पटवारियों को अधिकृत कर तुरंत सुधार एवं पंजीयन की अनुमति दी जाए।
- पूर्ण मात्रा की एकमुश्त खरीदी : किसने की उपज को निर्धारित सीमा तक एक बार में खरीदा जाए बार-बार बुलाए जाने से किसानों को परिवहन और समय की दोहरी क्षति होती है।
- गुणवत्ता जांच में पारदर्शिता: योग्य, प्रशिक्षित एवं निष्पक्ष सर्वेयरों की नियुक्ति की जाए ताकि उपज की गुणवत्ता जांच पारदर्शी हो और अतीत की तरह किसानों का शोषण न हो।
- तुलाई व्यवस्था में सुधार: खरीद केंद्रों पर तुलाई के लिए लंबी प्रतीक्षा पंक्तियाँ न लगें, इसके लिए समुचित मानव संसाधन एवं मशीनीकरण की व्यवस्था की जाए।
- बिक्री केंद्रों पर मूलभूत सुविधाएं: बरसात के मौसम को देखते हुए, खरीदी केंद्रों पर किसानों के बैठने, ठहरने एवं उपज को सुरक्षित रखने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
- खरीदी केंद्रों की संख्या में वृद्धि: किसानों की सुविधा हेतु खरीदी केंद्रों की संख्या को यथासंभव बढ़ाया जाए ताकि क्षेत्रीय भीड़-भाड़ कम हो और समयबद्ध खरीदी सुनिश्चित हो सके।
सिंह ने पत्र के अंत में लिखा है कि मध्य प्रदेश का किसान देश का अन्नदाता है। वह परिश्रमपूर्वक देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अतः यह राज्य सरकार की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि किसानों को उनकी उपज का न्यायोचित मूल्य समय पर मिले और प्रक्रियात्मक दिक्कतों से उन्हें न जूझना पड़े।