मंडला कलेक्टर और एसपी ऑफिस के निर्माण पर हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

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जबलपुर{ गहरी खोज }: एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मंडला कलेक्टर और एसपी कार्यालय में हो रहे निर्माण पर रोक लगा दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में आरोप है कि निर्माण स्थल पर हजारों पेड़ काटे जाएंगे। जिसको लेकर कोर्ट ने पेड़ काटने या स्थानांतरित करने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह जनहित याचिका मंडला के सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल गफ्फार कुरैशी द्वारा दायर की गई है, जिनकी ओर से अधिवक्ता दिनेश कुमार तिवारी ने कोर्ट में दलीलें रखीं।
अधिवक्ता दिनेश कुमार तिवारी ने बताया कि एमपी एलआईसी के नियम 237 (च) के तहत पाठशाला, खेल मैदान, उद्यान, सड़क जैसे सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित क्षेत्र को किसी अन्य प्रयोजन में परिवर्तित करने का अधिकार कलेक्टर के पास नहीं है। बावजूद इसके, उद्यान विभाग की भूमि को शासन ने जिला कार्यालय के लिए स्थानांतरित कर दिया है, जो नियम विरुद्ध है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जिस भूमि पर जिला कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है, वहां लगभग 10 हजार हरे-भरे पेड़-पौधे, जिनमें 48 आम के पेड़ करीब 40 वर्ष पुराने, और 218 अन्य वृक्ष जो 15 से 20 वर्ष पुराने हैं, शामिल हैं। यह स्थान वर्षों से नगर का प्रमुख उद्यान है जो ऑक्सीजन टैंक के रूप में जाना जाता है।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि उन्हें प्राप्त आंकड़ों के अनुसार केवल 18 पेड़ों का स्थानांतरण प्रस्तावित है, न कि 10,000। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि निर्माण स्थल का विस्तृत नक्शा, परियोजना का निर्माण प्लान और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाए। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में मंडला कलेक्टर, कमिश्नर हॉर्टिकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट, चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (सीसीएफ) भोपाल, सीसीएफ जबलपुर और मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब मंडला के अपर कलेक्टर ने नजूल शीट नंबर 9, प्लॉट नंबर 19 पर स्थित 293588 वर्गफुट (करीब 6.74 एकड़) भूमि को जिला कार्यालय एवं एसपी ऑफिस निर्माण के लिए आवंटित करने का आदेश दिया। यह भूमि अभी तक उद्यान विभाग मंडला के पास थी, जहां हरे-भरे बगीचे और कई दशकों पुराने पेड़ हैं। इसके बदले उद्यान विभाग को गाजीपुर गांव की 6.00 हेक्टेयर भूमि दी गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को निर्धारित की है।

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