कब से शुरू हो रहा पवित्र माह सावन? जानें तारीख और पूजन विधि

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धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में सावन माह का खासा महत्व है, यह पूरा महीना भगवान शिव का समर्पित है। इस माह में भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। अगर हिंदू पंचांग के हिसाब से देखें तो सावन माह पांचवां महीना होता है। सावन के माह में सबसे अधिक सोमवार का दिन माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन में इस बार कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। इन सोमवार के दिन लोग व्रत और शिव आराधना करते हैं। इसके अलावा सावन में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है।

कब से शुरू हो रहा सावन?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस बार सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त तक चलेगा यानी सावन का अंतिम दिन 9 अगस्त हैं। 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है, जो 10 जुलाई की रात 01.36 बजे शुरू होगा और 11 जुलाई की रात 02.06 बजे तक रहेगा। इसके बाद सावन या कहें श्रावण माह की प्रतिपदा तिथि लगेगी। सावन माह की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई की रात 11.07 बजे शुरू होगी, जो 12 जुलाई की रात 02.08 बजे खत्म होगी। चूंकि हिंदू धर्म में शिव पूजा निशित काल में करने का विधान है, ऐसे में 11 जुलाई को ही सावन का आरंभ माना जाएगा।

इस बार 4 सोमवार व्रत पड़ेंगे, जो पहला 14 जुलाई, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा सोमवार 4 अगस्त को रखा जाएगा।

सोमवार व्रत के लाभ
सावन में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है, जिसके बारे में शिव पुराण में भी बताया गया है। माना जाता है कि जो शिव भक्त श्रद्धा और नियम से सावन के सभी सोमवार व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार व्रत करने से जातक के जीवन में सुख,शांति और समृद्धि आती है। साथ ही ग्रहों की प्रतिकूल दशा में भी सुधार आता है।

सावन माह में विशेष योग
इस बार सावन में पहले ही दिन एक विशेष योग बन रहा है, जिसे शिववास योग कहते हैं। इस शुभ संयोग में भगवान शिव-माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं। ऐसे में इस योग में शिव पूजा करने से जातक को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मनचाहा वरदान मिलेगा।

सावन में कैसे करें पूजा?
सावन में सबसे पहले उठकर स्नान करें और शिव मंदिर जाएं।
वहां शिवलिंग को गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, भस्म, मिठाई और गाय का दूध अर्पित करें।
इसके बाद मंदिर प्रागण में ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें या फिर महामृत्युंजय का भी पाठ कर सकते हैं।
इसके बाद पूजा विधि को लेकर शिव से क्षमा मांगे और अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करें।

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