नक्सलवाद के खात्मे के इतिहास में सुरक्षा बलों का बलिदान स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा: शाह

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The Union Minister for Home Affairs and Cooperation, Shri Amit Shah interacting with security personnel in New Raipur, Chhattisgarh on June 23, 2025.

नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अगले वर्ष जब देश नक्सलवाद से मुक्त होगा तो वह क्षण आजादी के बाद के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगा और नक्सलवाद के खात्मे के इतिहास में सुरक्षा बलों का बलिदान तथा परिश्रम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा।
श्री शाह ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में सुरक्षा बलों के जवानों के साथ संवाद के दौरान यह बात कही। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, केन्द्रीय गृह सचिव, आसूचना ब्यूरो के निदेशक, सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सुरक्षा बलों के साहस, शौर्य, बलिदान और समर्पण को नमन किया और कहा कि जवान अपने शौर्य और परिश्रम से ही नक्सलियों के साथ मुठभेड़ को सफल बनाते हैं। उन्होंने कहा , “ सेना के जवान जो तय करते हैं, वो हासिल करते हैं। सुरक्षा बलों के इसी भरोसे से मैं देश में 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का ऐलान करता हूं।”
श्री शाह ने कहा कि नक्सलवाद गरीब आदिवासी क्षेत्र के लिए बड़ी विभीषिका रही है, जिससे पिछले 35 साल में लगभग 40 हजार लोगों की मौत हुई है या फिर वो अपाहिज होकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। नक्सलवादी हिंसा ने गरीब आदिवासी तक खाना, बिजली, शिक्षा, घर, शौचालय और पीने का शुद्ध पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं को नहीं पहुंचने दिया। इतने लंबे वर्षों तक इतना बड़ा क्षेत्र गुलामी के कालखंड में जीने को मजबूर रहा। इसका मूल कारण नक्लवाद है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब बच्चा हाथ में बंदूक की जगह पेंसिल पकड़कर क, ख, ग लिखता है, तो न सिर्फ एक क्षेत्र का बल्कि पूरे देश का भविष्य संवरता है। यह क्षण जल्द ही आने वाला है। जब 31 मार्च 2026 को देश नक्सलवाद से मुक्त होगा, वो क्षण आजादी के बाद का सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होगा।
उन्होंने कहा कि जब नक्सवाद के खात्मे का इतिहास लिखा जायेगा तो उसमें सुरक्षा बलों के जवानों का त्याग, बलिदान और परिश्रम स्वर्णिम अक्षरों से अंकित होगा।
श्री शाह ने छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में ‘लियोर ओयना’ – नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के भीषण संहार और बस्तर को बचाने के प्रयासों पर लिखित पुस्तक का लोकार्पण भी किया।

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