त्रिपुरा देश में तीसरा पूर्ण साक्षर प्रदेश बना

0
2025_6$largeimg23_Jun_2025_122005560

अगरतला{ गहरी खोज }:त्रिपुरा गोवा और मिजोरम के बाद देश का तीसरा पूर्ण साक्षर प्रदेश बन गया है। राज्य की साक्षरता दर एक दशक से अधिक समय से 90 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन कुछ मापदंडों में पिछड़ रही थी, जिसे अब हासिल कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने सोमवार को एक समारोह में यह घोषणा की। श्री साह के पास शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी है। उन्होंने केंद्र सरकार के अधिकारियों की उपस्थिति में, देश में सार्वभौमिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नए मानक की उपलब्धि की घोषणा की।
डॉ. साहा ने कहा कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार त्रिपुरा की साक्षरता दर 93.7 प्रतिशत थी। हालांकि “उल्लास” अभियान की हालिया सफलताओं के साथ यह आंकड़ा अब बढ़कर 95.6 प्रतिशत हो गया है। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार 95 प्रतिशत से अधिक साक्षरता हासिल करने वाले राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को ‘पूर्ण साक्षरता” का दर्जा दिया जाता है।
रवींद्र शताबर्शिकी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में 2,000 नव-साक्षरों, स्वयंसेवकों, प्रशिक्षकों और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों सहित सभी आठ जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राज्य ने गैर-साक्षर व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें शिक्षित करने के लिए उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम) को लागू किया जिसमें पाँच घटकों पर बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल और सतत शिक्षा ध्यान केंद्रित किया गया।
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ संरेखण, उल्लास को 2022 में लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य 2027 तक देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक को साक्षरता के दायरे में लाना है। संगठित और समर्पित प्रयासों के साथ त्रिपुरा इस मिशन में सबसे आगे रहा है।”
माध्यमिक शिक्षा निदेशक एनसी शर्मा ने कहा कि मिशन को लागू करने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर पहले कई समितियों का गठन किया गया था। शैक्षिक सामग्री बंगाली, अंग्रेजी और कोकबोरोक भाषाओं में तैयार की गई थी। विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों और छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में लगाया गया था।
श्री शर्मा ने कहा, “हमारा अनुभव अद्भुत है। कुछ ने अपने आंगन में कक्षाएँ खोलीं, जबकि अन्य ने स्थानीय बाजारों में बुनियादी बातें सिखाईं। इस मील के पत्थर तक पहुँचने का सफ़र आसान नहीं था।”
वर्ष 1961 में प्रदेश की साक्षरता दर केवल 20.24 प्रतिशत थी जो 2011 की जनगणना में 87.22 प्रतिशत तक पहुँच गई और अब राज्य तीसरा सबसे अधिक साक्षर राज्य बन गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *