राष्ट्रपति भवन में एक ऐसा कैफे है, जिसे दिव्यांगजन चलाते हैं : मुर्मु

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देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को उत्तराखंड के देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईबीएच) में दृष्टिबाधित बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, “आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि राष्ट्रपति भवन परिसर में एक ऐसा कैफे है जिसे दिव्यांग लोग चलाते हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा, “सरकार का यह प्रयास रहा है कि दिव्यांगजनों की पहुँच सरकारी भवनों, संस्थानों आदि में सुगम्य बनाई जाए।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन द्वारा भी दिव्यांगजनों के हित में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
श्रीमती मुर्मु ने कहा, “दृष्टिबाधित लोगों को शिक्षण तथा प्रशिक्षण प्रदान करने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ समाज को उनके प्रति जागरूक बनाने में योगदान के लिए मैं इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं। किसी देश या समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समाज के लोगों द्वारा दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। भारत का इतिहास संवेदनशीलता एवं समावेशिता के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है। हमारी संस्कृति और सभ्यता में मानवीय करुणा एवं प्रेम के तत्व हमेशा रहे हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में दिव्यांग बच्चों को अन्य बच्चों के समान अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण और समान भागीदारी के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि यह अभियान सुगम्य भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना एवं संचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर बल देता है। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि इस वर्ष मार्च महीने में दिव्यांगजनों की प्रतिभा, उपलब्धियों और आकांक्षाओं का उत्सव मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में ‘पर्पल फेस्ट’ का आयोजन किया गया था।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि उसका उद्देश्य विभिन्न विकलांगताओं और लोगों के जीवन पर पड़ने वाले उनके प्रभाव के बारे में जागरूक करना था। साथ ही, दिव्यांगजनों को समझने, उन्हें स्वीकार करने तथा समाज में समावेश को बढ़ावा देना भी था। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि दिव्यांगजनों को जीवन के हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के प्रयास समाज द्वारा अवश्य किए जाने चाहिए।”

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