नशा तस्करी

संपादकीय { गहरी खोज }: पंजाब के विशेष डीजीपी (कानून व्यवस्था) अर्पित शुक्ला अनुसार पंजाब में चल रहे ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ अभियान के तहत पंजाब पुलिस ने 128 नशा तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 10.8 किलो हैरोइन, 2 किलो अफीम और 2.40 लाख रुपए की ड्रग मनी बरामद की है। इस अभियान के दौरान इससे केवल 108 दिनों में गिरफ्तार किए गए तस्करों की कुल संख्या 17,897 हो चुकी है। ऑप्रेशन का विवरण देते हुए विशेष डीजीपी (कानून व्यवस्था) अर्पित शुक्ला ने बताया कि 107 राजपत्रित अधिकारियों की निगरानी में 1600 से अधिक पुलिसकर्मियों की सहभागिता से बनी 220 से अधिक टीमों ने राज्यभर में 499 स्थानों पर छापेमारी की। इन कार्रवाइयों के दौरान कुल 81 एफआईआर दर्ज की गई तथा 557 संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की गई। विशेष डीजीपी ने आगे बताया कि राज्य सरकार द्वारा लागू की गई तीन-आयामी रणनीति-प्रवर्तन (इन्फोर्समेंट), नशा मुक्ति (डी-एडिक्शन) और रोकथाम (प्रिवेंशन) के अंतर्गत पंजाब पुलिस ने 69 लोगों को नशा छोड़ने और पुनर्वास के लिए इलाज हेतु सहमत किया है। पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक नशा तस्करी के मामले में अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि नशीले पदार्थों की बरामदगी से जुड़े मामले को केवल मामूली अपराध नहीं समझा जा सकता। यह राष्ट्रीय महत्व का विषय है। ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाना बेहद जरूरी है। नशे की तस्करी सामाजिक कलंक है। नशीली दवाओं के उत्पादन व तस्करी के मामले में ईडी ने पांच फार्मा कंपनियों के पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के 15 ठिकानों पर छापे मारे। सूत्रों के अनुसार, ईडी ने बड़ी संख्या में दवाओं के निर्माण और कच्चे माल की खरीद से संबंधित रिकार्ड कब्जे में लिए हैं। कंपनी पदाधिकारियों व स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। ईडी ने यह कार्रवाई पंजाब पुलिस की एसटीएफ की ओर से बीते वर्ष मोहाली में दर्ज एफआइआर के आधार पर की। जांच में पता चला कि फार्मा कंपनियों के साथ मिल नशा तस्करों ने कई दवाओं की आपूर्ति की है। इस आपराधिक गठजोड़ से नशा तस्करों ने कई सौ करोड़ रुपये बनाए हैं, जिसे सीधे तौर पर मनी लांड्रिंग माना गया। जांच में पता चला है कि हिमाचल के बद्दी की दवा कंपनी ने नशे की लत वाली अल्प्राजोलम की 20 करोड़ टैबलेट आठ महीने में बनाकर महाराष्ट्र भेजी हैं। पंजाब पुलिस की एसटीएफ ने गत वर्ष मई में कई राज्यों में फैले इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था। मुख्य सरगना एलेक्स पालीवाल और नशीली दवाओं के परिवहन एवं वितरण के लिए चार सप्लायर इंतजार सलमानी, प्रिंस सलमानी, बलजिंदर सिंह व सूबा को भी गिरफ्तार किया था। पालीवाल से पूछताछ के बाद मंगलवार को ईंडी ने पुलिस टीमों व ड्रग्स कंट्रोल अफसरों के साथ बद्दी में दवा कंपनी बायोजेनेटिक ड्रग्स की जांच की और रिकार्ड जब्त किया। कंपनी ने मात्र आठ महीनों में 20 करोड़ से अधिक अल्प्राजोलम टैबलेट बनाकर महाराष्ट्र की एस्टर फार्मा को भेजी थीं। बायोजेनेटिक की दूसरी फर्म स्माइलेक्स फामकिम से 725.5 किलो ड्रग ट्रामाडोल पाउडर व 1.5 करोड़ कैप्सूल बरामद किए। रिकार्ड से पता चला कि स्माइलेक्स ने एक वर्ष में 6500 किलो ड्रग ट्रामाडोल पाउडर खरीदा। यह वास्तविक दवा निर्माण के हिसाब से बेहद अधिक है। इस आधार पर फार्मा कंपनियों पर शक गहराया है। ईडी ने उत्तराखंड के ऋषिकेश, हरिद्वार और काशीपुर, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मुजफ्फरनगर और गोंडा में भी दबिश दी। सूत्रों का कहना है कि ईडी ने लैपटाप व कई दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। नशा तस्करी को लेकर जालंधर में भी ईडी जालंधर की टीम ने देओल नगर में एक सैलून मालिक के घर दबिश दी थी। ईडी की इस कार्रवाई को लखनऊ के ड्रग तस्करी मामले के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार सैलून मालिक से ट्रामाडोल नशीली गोलियां बरामद हुई थीं। इस आरोप में वह पिछले डेढ़ साल से अमृतसर जेल में बंद है। ईडी की जांच टीम ने मंगलवार को सलमानी के मॉडल टाऊन स्थित सैलून कर्मियों से भी गहन पूछताछ की है। बताया जा रहा है कि करीब डेढ़ साल पहले पुलिस ने सलमानी को शक के आधार पर गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उसके कब्जे से ट्रामाडोल गोलियां बरामद हुई थीं। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों में मारे गए छापों से स्पष्ट है कि जो बात पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय की बैंच ने नशा तस्करी आरोपी की याचिका खारिज करते हुए कही थी वही धरातल का सत्य है। नशा तस्करी की जड़ें बहुत फैल चुकी हैं। इन जड़ों को काटना प्रदेशों की सरकारों और देश की सरकार को प्राथमिकता की सूची में रखना चाहिए। पंजाब सरकार पिछले कुछ समय से ऐसा कर नशा तस्करों के विरुद्ध सक्रिय है। लेकिन नशा तस्करी तभी रुकेगी जब राष्ट्रीय स्तर पर एक योजनाबद्ध तरीके से नशा तस्करों विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। पंजाब में ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ अभियान में एक बात जो सामने आ रही है कि नशा तस्करों के विरुद्ध जन साधारण बोलने से डरता है क्योंकि उसको जान का खतरा होता है। सरकारों को उन सभी लोगों को सुरक्षा देनी चाहिए जो नशा तस्करों के विरुद्ध अभियान में पुलिस व प्रशासन का अपनी जान जोखिम में डालकर सहयोग कर रहे हैं। समाज और सरकार के सहयोग से ही नशा तस्करी विरुद्ध अभियान सफल होगा।