जसमीत सिंह से लें प्रेरणा

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संपादकीय { गहरी खोज }: मूलरूप से अमृतसर के कोलकाता निवासी जसमीत सिंह अब तक 40000 किसानों को पेड़ पौधे बांट चुके हैं। जसमीत सिंह के अनुसार कुछ वर्ष पहले वह सुंदरवन, पुरुलिया व वफड़ा गांव गए थे वहां किसानों की परेशानी देखी। एक एकड़ पर खेती कर दो हजार रुपए भी नहीं कमा पा रहे थे इस कारण उन के बच्चे आगे खेती करना नहीं चाहते थे। जसमीत और उनकी पत्नी अंजू कौर अरोड़ा ने आम की गुठलियां इकट्ठा कर उन्हें पौधे में बदलना शुरू किया और किसानों को आम का पेड़ लगाने को प्रोत्साहित किया।
कोलकाता के बांगुड़ निवासी जसमीत ने 2019 में यह अभियान शुरु किया। अब तक 15 लाख से अधिक गुठलियां जुटा चुके हैं। उनका लक्ष्य अगले 15 वर्षों में 200 करोड़ गुठलियां एकत्र कर 20 करोड़ पेड़ लगाना है। आज वह ‘गुठली मैन’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। जसमीत दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर में अपने मिशन के लिए सहयोग के तौर पर मिली जमीन में गुठलियों को अंकुरित करने के बाद उनकी ग्राफ्टिंग करते हैं। ग्राफ्टिंग के तहत उन्हें कम समय में फल देने वाले पौधे के रूप में विकसित किया जाता है। पौधे के चार-पांच फीट का होने पर उसके एक निर्दिष्ट हिस्से को काटकर बंगाल में उत्पादित होने वाले हेम सागर, लंगड़ा, गुलाब खास इत्यादि आम की किस्मों के साथ उनकी ग्राफ्टिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में दोनों पौधों के हिस्सों को काट छांटकर जोड़ा जाता है। इस तरह देश के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाली गुठलियों को नैटिव ब्रीड का बनाकर बंगाल की मिट्टी में उनसे अंकुरित पौधों को फलदायी पेड़ में बदलने की संभावना बढ़ाई जाती है। उनके प्रयास से सैंकड़ों किसान लाभान्वित होने लगे हैं।
जसमीत सिंह ने इटरनेट मीडिया के माध्यम से देशभर के लोगों से गुठलियां भेजने की अपील की थी। धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई। बताते हैं कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक से गुठलियां मिल रही हैं। कोई 20, कोई 200, कोई 2000 तो कोई 20,000 गुठलियां भेज रहा है। आम के मौसम में घर गुठलियों के गोदाम में बदल जाता है। मैंगो मिशन से कई स्कूल भी जुड़ गए हैं। सेना ने भी सहयोग का हाथ बढ़ाया है। सिंह कहते हैं कि जो लोग गुठलियां भेजते हैं, मैं उन्हें ‘गुठली वारियर’ लिखा प्रमाण पत्र भेजता हूं।
जसमीत के अनुसार हमारे देश में इस समय प्रति व्यक्ति मात्र 27 पेड़ हैं जबकि कनाडा, रूस व अमेरिका में प्रति व्यक्ति 9000 से अधिक पेड़ हैं, वहीं वैश्विक औसत 428 है। भारत में जिस तरह से हीट वेव व प्रदूषण बढ़ रहा और मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है, उसे देखते हुए अधिक से अधिक पेड़ लगाना बेहद जरूरी है। यदि पौधरोपण को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए, तो स्थिति बदलेगी।
आम ही क्यों, इसके जवाब में जसमीत कहते हैं- आम सदाबहार पेड़ है। इस पर हर वक्त हरी छतरी (ग्रीन कैनोपी) रहती है। यह कार्बन को प्रभावी तरीके से अवरुद्ध करता है, जैव विविधता बढ़ाता है, पर्यावरण को संतुलित करता है। इसमें लगने वाले फल आय का अच्छा साधन है।
बिगड़ते वातावरण को सुधारने का एक ही उपाय है वृक्षों को लगाना। वृक्षों के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को वृक्ष लगाने से ही नियंत्रण में किया जा सकता है। वृक्षों के महत्व को दर्शाते हुए श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ‘मेरे प्यारे मित्रों! देखो, ये वृक्ष कितने भाग्यवान हैं। इनका सारा जीवन केवल दूसरों की भलाई करने के लिए है। ये स्वयं तो हवा के झोंके, वर्षा, धूप और पाला सब कुछ सहते हैं, परंतु हम लोगों की उनसे रक्षा करते हैं। मैं कहता हूं कि इन्हीं का जीवन सबसे श्रेष्ठ हैं, क्योंकि इनके द्वारा सब प्रणियों को सहारा मिलता है। उनका जीवन निर्वाह होता है, जैसे किसी सज्जन पुरुष के घर से कोई याचक खाली हाथ नहीं लौटता, वैसे ही इन वृक्षों से भी सभी को कुछ-न-कुछ मिल ही जाता है। ये अपने पत्ते, फूल, फल, छाया, जड़, छाल, लकड़ी, गंध, गोंद, राख कोयला, अंकुर और कोपलों से भी लोगों की कामना पूर्ण करते हैं।’ स्कंदपुराण में कहा गया है कि ‘पीपल का एक, नीम का एक, वट वृक्ष का एक और इमली के दस पेड़ लगाने चाहिए। कपित्थ, बिल्व और आंवला के तीन एवं आम के पांच पेड़ लगाने वाले को कभी नरक के दर्शन नहीं करने पड़ते। दस कुएं खोदने से जितना हित होता है, वह एक बावड़ी बनाने से हो जाएगा। दस बावड़ी बनाने से जो लाभ होगा, वह एक तालाब बनाने से हो जाएगा। एक योग्य पुत्र इस तालाब जितना हितकारक होगा, कितु एक अच्छा पेड़ दस पुत्रों के समान सदा आपका साथ देगा।’
महाभारत अनुसार ‘फल और फूलों से भरे हुए वृक्ष इस जगत में मनुष्यों को तृप्त करते हैं। जो वृक्ष दान करते हैं, उनके वे वृक्ष परलोंक में पुत्र की भांति पार उतारते हैं। अतः कल्याण की इच्छा रखने वाले पुरुष को सदा ही सरोवर के किनारे वृक्ष लगाना चाहिए।’
जसमीत और उनकी पत्नी अंजू अरोड़ा से प्रेरणा लेकर आप भी अपने क्षेत्र में वृक्ष लगाने का पुनीत अभियान चलाएं। जैसे जल बिन जीवन संभव नहीं ऐसे ही आक्सीजन के बिना एक पल जीना भी संभव नहीं और आक्सीजन हमें वृक्ष देते हैं। वृक्षों के महत्व को समझें। वृक्षों के कम होने का अर्थ है कि हमारे जीवन कम होना। एक स्वस्थ जीवन के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। वृक्ष लगाएं भी व उन्हें संतान की तरह संभाले भी इसी में हमारा वर्तमान व भविष्य सुरक्षित है।

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