जम्मू में सूखे जैसे हालात, पंजाब को पानी देने से इंकार: उमर अब्दुल्ला

उधमपुर{ गहरी खोज }: देश के जल संसाधन प्रबंधन को लेकर एक अहम प्रस्ताव पर विवाद खड़ा हो गया है। जम्मू-कश्मीर से अतिरिक्त जल को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर मोड़ने हेतु 113 किलोमीटर लंबी नहर निर्माण की योजना को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उमर अब्दुल्ला ने साफ कहा कि वे किसी भी सूरत में जम्मू-कश्मीर से होकर पंजाब को पानी भेजने की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि जब जम्मू स्वयं सूखे की स्थिति से जूझ रहा है, तो राज्य अपने जल संसाधनों को बाहर क्यों भेजे। उन्होंने कहा, “सिंधु जल संधि के तहत पंजाब को पहले से ही पर्याप्त पानी मिल रहा है। जब हमें पानी की जरूरत थी, तब क्या किसी ने हमारी मदद की?”पूर्व मुख्यमंत्री ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब इन नेताओं को मौका मिला, तब इन्होंने आरक्षण जैसे अहम मुद्दे को नजरअंदाज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि वोटों के स्वार्थ के चलते महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी के नेताओं को भी इस मुद्दे पर चुप रहने को कहा। उमर ने बताया कि उनकी सरकार ने महज छह माह के भीतर आरक्षण संबंधी रिपोर्ट तैयार की और कैबिनेट से पास कर कानून विभाग को भेज दी। उन्होंने पूछा कि उस वक्त ये नेता कहां थे जब उन्हें आरक्षण के मुद्दे पर बोलना चाहिए था?
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर उमर अब्दुल्ला ने इजराइल की सैन्य कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह कहा गया है कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, तो उसे निशाना क्यों बनाया जा रहा है? उन्होंने ईरान में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और बताया कि 400 छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर के कुल 1600 छात्र अब भी वहां फंसे हुए हैं।
राज्य के दर्जे की बहाली को लेकर उमर ने कहा कि वे अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे पर भरोसा कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना फिलहाल विचाराधीन है।