लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान शुरू, 14 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर

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लुधियाना { गहरी खोज }: पंजाब में लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव के लिए गुरुवार सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक चलेगा और परिणाम 23 जून को घोषित किए जाएंगे ।
इस चुनाव क्षेत्र में कुल 1.74 लाख पंजीकृत मतदाता 14 उम्मीदवारो के भाग्य का फैसला करेंगे1 इनमें 84,825 महिलाओं और 10 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।
लुधियाना पश्चिम से आप विधायक गुरप्रीत गोगी की इस साल जनवरी में मौत हो जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) से संजीव अरोड़ा, कांग्रेस से भारत भूषण आशु, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जीवन गुप्ता और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से परुपकर सिंह घुम्मन सहित कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। प्रशासन द्वारा 194 मतदान केंद्र बनाए हैं, और प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हर केंद्र पर लाइव वेबकास्टिंग की योजना बनाई गयी है। श्री अरोड़ा पहली चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया था।
पंजाब में सत्तारूढ़ आप के लिए इस उपचुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है। यह चुनाव दिल्ली विधानसभा चुनावों के कुछ महीने बाद हो रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी हार गये थे। आप ने अपने राज्यसभा सदस्य एवं उद्योगपति संजीव अरोड़ा को उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि श्री केजरीवाल को राज्यसभा में पहुंचाने के लिए ही श्री अरोड़ा को चुनावी मैदान में उतारा गया है।
वर्ष 1977 से स्थापित इस निर्वाचन क्षेत्र में अब तक दस चुनाव हुए हैं और यहां पहली बार उपचुनाव हो रहा है। दस मुकाबलों में से छह में कांग्रेस ने, दो शिअद ने और एक-एक में क्रमश: आप और तत्कालीन जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। हाल ही में 2012 और 2017 में कांग्रेस ने जीत हासिल की और 2022 में आप ने जीत हासिल की।
कांग्रेस के श्री आशु 2022 में आप के गोगी से हारने के बाद वापसी की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में व्यापक गुटबाजी के कारण उन्हें भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा उनके अभियान से काफी हद तक दूर रहे।
शिरोमणि अकाली दल ने अधिवक्ता परुपकर सिंह घुम्मन को मैदान में उतारा है, जो वंचितों के लिए मुफ्त में केस लड़ने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, 100 साल पुरानी पार्टी 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव हारने के बाद से अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है और पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में फिर से अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है।

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