पुलिस ने दबोचे 5 और आरोपी: डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर महिला से ठगे गए थे 2.5 करोड़ रुपये

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चंडीगढ़ { गहरी खोज }: सेक्टर 10ए की रहने वाली चंडीगढ़ की पूर्व चीफ आर्किटेक्ट सुमित कौर से 2.5 करोड़ रुपये की हाई-प्रोफाइल ऑनलाइन ठगी के मामले में साइबर सेल को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मामले में पुलिस ने अब तक कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हाल ही में की गई कार्रवाई में पांच और साइबर अपराधियों को धर दबोचा गया है। पुलिस ने इस मामले में अब तक 10 मोबाइल फोन, 5 चेकबुक, 12 एटीएम कार्ड, 8 पासबुक, एक टैब और एक लैपटॉप बरामद किया है। 3 मई 2025 की सुबह सुमित कौर को एक फोन कॉल आया, जिसमें खुद को ट्राई (टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अधिकारी बताया गया। कॉल करने वाले ने दावा किया कि उनके मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
कुछ ही देर बाद उन्हें व्हाट्सएप वीडियो कॉल के ज़रिए एक व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी विजय खन्ना बताया और कहा कि उनके खिलाफ दो गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं। पीड़िता को डराने के लिए नकली गिरफ्तारी वारंट दिखाए गए और खुद को सीबीआई के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल राजीव रंजन और सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में पेश किया गया। उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” की बात कहकर लगातार मानसिक दबाव डाला गया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम से एक फर्जी वीडियो कॉल भी की गई और फर्जी आदेश दिखाकर महिला को कहा गया कि वह अपनी संपत्ति एक “सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट” में ट्रांसफर करें। डर और दबाव में आकर महिला ने कई किश्तों में कुल 2.5 करोड़ रुपये ठगों द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दिए।
गिरफ्तार आरोपियों में मनीष जायसवाल ने बंधन बैंक में एक खाता खुलवाया था, जिसमें 17 मई को पीड़िता द्वारा 20 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर की गई थी। मनीष ने पूछताछ में बताया कि वह कुछ महीने पहले जयपुर में एक व्यक्ति के संपर्क में आया था जिसने उसे कमीशन पर बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाने का लालच दिया था। बाद में वह असम गया, जहां उसने एक अज्ञात व्यक्ति से संपर्क किया और लौटकर वाराणसी में कई बैंक अकाउंट्स तैयार किए। इन अकाउंट्स को मनीष ने चित्रांश चौरसिया को सौंपा, जिससे वह 11 जून को लखनऊ के एक होटल में मिला था।
चित्रांश ने पूछताछ में बताया कि उसने दो-तीन महीने पहले वाराणसी में प्रिंस सिंह से मुलाकात की थी, जिसने उसे ट्रांजेक्शन के बदले 10% कमीशन पर बैंक अकाउंट्स की व्यवस्था करने को कहा था। प्रिंस ने पूछताछ में बताया कि उसे यह काम जुब्बार अली ने सौंपा था, जिससे वह असम में मिला था। जुब्बार ने उसे अपने “बॉस” से मिलवाया और बाद में जुब्बार अली और मोहम्मद अजित उल्लाह वाराणसी आए और बाकी आरोपियों से मिले। पूछताछ के दौरान सभी आरोपियों ने अपराध में अपनी भूमिका स्वीकार की है। पुलिस ने सभी आरोपियों की रिमांड मांगी है ताकि गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान और ठगी की गई राशि की बरामदगी सुनिश्चित की जा सके।
साइबर सेल ने आम जनता से अपील की है कि वह किसी भी फोन या वीडियो कॉल में खुद को अधिकारी बताने वाले व्यक्ति पर भरोसा न करें। न ही किसी फर्जी गिरफ्तारी वारंट या बैंक जांच के नाम पर पैसे ट्रांसफर करें। किसी भी संदेहजनक कॉल पर तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।

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