कॉरपोरेट क्षेत्र आर्थिक प्रगति का प्रमुख स्तंभ :मुर्मू

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The President of India, Smt Droupadi Murmu in a group photograph with the probationers of the Indian Corporate Law Service, the Defence Aeronautical Quality Assurance Service and the Central Labour Service at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on June 18, 2025.

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय कॉरपोरेट लॉ सेवा, रक्षा एयरोनॉटिकल गुणवत्ता आश्वासन सेवा और केंद्रीय श्रम सेवा के प्रोबेशनर्स (प्रशिक्षु अधिकारी) ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति भवन में शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को उनकी उपलब्धियों पर बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता उनकी कड़ी मेहनत, संकल्प और लगन का परिणाम है। जब वे लोक सेवा की चुनौतियों को स्वीकार करेंगे तो उन्हें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि उनके निर्णय और कार्य लाखों नागरिकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
राष्ट्रपति ने उन्हें सुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के आदर्शों का वाहक बनने का आह्वान किया। कॉरपोरेट लॉ सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र भारत की आर्थिक प्रगति का प्रमुख स्तंभ है। ऐसे में इन अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे कॉरपोरेट कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें, ताकि एक ऐसा व्यावसायिक वातावरण विकसित हो जो पारदर्शी, उत्तरदायी और नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला हो। केंद्रीय श्रम सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इनकी भूमिका न केवल श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करने की है, बल्कि वे श्रमिकों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा करने वाले संवेदनशील मध्यस्थ भी होते हैं।
ये अधिकारी सामाजिक न्याय के पक्षधर बनकर उद्योगों और श्रमिकों के बीच संतुलन बनाकर उत्पादकता और पारस्परिक सम्मान की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। रक्षा एयरोनॉटिकल गुणवत्ता आश्वासन सेवा के अधिकारियों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्य विमानन में गुणवत्ता केवल तकनीकी मानकों तक सीमित नहीं है बल्कि यह मिशन की तैयारी, परिचालन सुरक्षा और रणनीतिक श्रेष्ठता से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि सभी सैन्य विमानन उपकरण चाहे वे देश में निर्मित हों या आयातित-उच्चतम वैश्विक गुणवत्ता और एयरवदीर्नेस मानकों पर खरे उतरें।
उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए न केवल सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करना आवश्यक है, बल्कि निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी और तकनीक हस्तांतरण के माध्यम से उसे सक्षम बनाना भी जरूरी है। इससे भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ते हुए वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है।राष्ट्रपति ने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों से यह अपेक्षा की कि वे आने वाले वर्षों में देश की सेवा में समर्पण और ईमानदारी के साथ अपना योगदान देंगे।

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