ईरान इजरायल युद्ध लंबा खिंचा तो पूरी दुनिया की जेब होने लगेगी ढीली

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नई दिल्ली { गहरी खोज }: फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर यह संघर्ष और गहराया तो रोजमर्रा की वस्तुएं महंगे हो सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगर वेस्ट एशिया की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती है, तो इनपुट और पैकेजिंग की लागत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। पेट्रोलियम उत्पाद खाद्य सामग्री के कच्चे माल में 20-25 प्रतिशत और पेंट में 40 प्रतिशत तक उपयोग होते हैं। ये डिटर्जेंट, पेंट और पैकेजिंग में सीधे इस्तेमाल होते हैं।
ईरान और इज़राइल के बीच चल रहेयुद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जो कुछ महीने पहले तीन साल के निचले स्तर पर थी, अब बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है, जो पिछले महीने से 15 प्रतिशत ज्यादा है। कच्‍चे तेल की कीमतें बढने का असर केवल पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ही होगा, ऐसा सोचने वालों में आप भी हैं तो अपनी धारणा ठीक कर लें। इसका असर साबुन, सर्फ से लेकर बिस्किट, पेंट और पेय पदार्थों की कीमतों पर होगा और ये चीजें महंगी हो जाएंगी।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सेल्स हेड कृष्णा खातवानी ने कहा,मध्य पूर्व में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ला सकता है, जिससे उपभोक्ता सामान की कीमतें बढ़ेंगी और ग्राहकों की जेब पर असर पड़ेगा। यह स्थिति ऐसे समय में बनी है जब एफएमसीजी कंपनियों को ब्याज दरों में कटौती, बजट में टैक्स राहत और शुरुआती मानसून जैसे कारणों से मांग में सुधार के संकेत मिलने लगे थे।
हाल ही में एफएमसीजी कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी रोक दी थी, क्योंकि कच्चे माल जैसे पाम ऑयल और गेहूं की कीमतें स्थिर हो गई थीं। इससे पहले ग्रोसरी की कीमतें 5-20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी थीं। आंकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में 11प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर्ज की गई, जिसमें से 5.6प्रतिशत की वृद्धि सिर्फ कीमतों के बढ़ने की वजह से थी।
बिसलेरी इंटरनेशनल के सीईओ एंजेलो जॉर्ज ने कहा, मध्य पूर्व की ऊर्जा संरचना में व्यवधान से भारी आपूर्ति संकट पैदा हो सकता है, जिससे पैकेजिंग सामग्री की लागत बढ़ेगी। यह उन कंपनियों के लिए चिंता का विषय है जो प्लास्टिक पर अत्यधिक निर्भर हैं। बिसलेरी ने हाल ही में दुबई स्थित एपरल ग्रुप के साथ साझेदारी कर पश्चिम एशिया और अफ्रीका के बाजारों में विस्तार की योजना बनाई है।
हालांकि कई कंपनियों ने इनपुट लागत को छह महीने या उससे अधिक के लिए हेज कर लिया है, लेकिन अगर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आती है, तो उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है। डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने भी यही चिंता जाहिर की।

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