उत्तराखंड में फिर हवाई हादसा

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संपादकीय { गहरी खोज }: देशवासी अभी अहमदाबाद में हुए हवाई हादसे से उभर नहीं पा रहे थे कि उत्तराखंड में केदारनाथ के पास हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने व सात लोगों की जान जाने के समाचार ने देश के विमाननयात्रियों को विमानन क्षेत्र की क्षमता पर सोचने को मजबूर कर दिया है। इस हादसे में एक बच्चे, पांच यात्रियों और पायलट समेत सभी यात्री हादसे का शिकार हो गए हैं।
नागरिक विमानन मंत्रालय के अनुसार, प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हेलीकॉप्टर खराब दृश्यता और घने बादलों के बीच उड़ रहा था। यह दुर्घटना नियंत्रित उड़ान इनटू टेरेन (सीएफआईटी) का मामला प्रतीत होता है। यह एक एक ऐसी स्थिति होती है जहां पायलट के पूर्ण नियंत्रण वाला विमान कम दृश्यता या भटकाव के कारण अनजाने में पहाड़, पहाड़ी या अन्य बाधाओं में घिर जाता है। इस दुर्घटना की जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) को सौंपी गई है। यही एजेंसी एयर इंडिया विमान दुर्घटना की भी जांच कर रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुर्घटना के बाद रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और मंत्रालय के सचिव समेत केंद्र और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक के बाद चार धाम यात्रा के लिए आर्यन एविएशन की सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। ट्रांसभारत एविएशन के लिए उड़ान भरने वाले दो अन्य हेलीकॉप्टर पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गए हैं, क्योंकि वे भी रविवार को इसी तरह की खराब मौसम स्थितियों में उड़ान भरते पाए गए थे। उत्तराखंड नागरिक विमानन विकास प्राधिकरण को सेवाएं फिर से शुरू करने से पहले सभी ऑपरेटरों और पायलटों के साथ विस्तृत समीक्षा करने का काम सौंपा गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि विमानन विकास प्राधिकरण रियल-टाइम हेलीकॉप्टर संचालन की निगरानी करने और सुरक्षा प्रोटोकॉल पालन सुनिश्चित करने के लिए कमांड-एंड-कंट्रोल रूम भी स्थापित करेगा। मंत्रालय ने डीजीसीए को केदारनाथ में अपनी एयरवर्थनेस, संचालन और सुरक्षा डिवीजनों के अधिकारियों को तैनात करने का निर्देश दिया है ताकि हेलीकॉप्टर गतिविधि की निगरानी की जा सके। मंत्रालय ने कहा कि किसी भी ऑपरेटर को मौसम या प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों के उल्लंघन में उडानें नहीं भरनी चाहिए।
उत्तराखंड के चार धाम क्षेत्र में एक महीने से कुछ अधिक समय में यह पांचवीं हेलीकॉप्टर दुर्घटना है, जो चुनौतीपूर्ण इलाके में परिचालन संबंधी अनुशासन और सुरक्षा अनुपालन पर सवाल उठाती है। बीते 7 जून को एक निजी एडब्ल्यू 119 हेलीकॉप्टर सिरसी से उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पायलट विमान को सुरक्षित रूप से बदासू गांव के पास एक सड़क पर लाने में सफल रहा। इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ था। इससे पहले 17 मई को एम्स ऋषिकेश द्वारा संचालित एक हेली-एम्बुलेंस केदारनाथ में उतरते समय क्षतिग्रस्त हो गई थी। हालांकि इसमें सवार पायलट, डॉक्टर और नर्स तीनों को कोई चोट नहीं लगी थी। इसी तरह 12 मई को भी एक हेलीकॉप्टर के रोटर ब्लेड से बदरीनाथ हेलीपैड पर एक वाहन टकरा गया था। इस दुर्घटना में भी किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इस घटना के खिलाफ स्थानीय पुजारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। बीते माह में ही 8 मई को गंगोत्री जा रहा हेलीकॉप्टर उत्तरकाशी में गंगनानी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें पांच तीर्थयात्रियों और पायलट की मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। इसी माह 9 जून को जारी एक अलग बयान में डीजीसीए ने कहा था कि लगातार कई घटनाओं के कारण चार धाम संचालन की सुरक्षा निगरानी को और मजबूत करने पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया कि यांत्रिक विफलताओं से लेकर मौसम संबंधी चुनौतियों तक, दुर्घटना के जिम्मेदार विभिन्न कारकों की पहचान करने के लिए व्यापक सुरक्षा जांच की जा रही है। नियामक ने यह भी कहा, ‘डीजीसीए सुरक्षा नियमों को बिल्कुल बरदाश्त नहीं करता है। इसीलिए उसने हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों की विशेष ऑडिट का आदेश दिया है। यदि आवश्यक हुआ तो इनका संचालन सीमित किया जाएगा।’ जांच के बाद दुर्घटना के लिए जिम्मेवार कारणों को लेकर वह सभी कदम तत्काल उठाए जाएं जिनसे चार धाम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।

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