मदद करने वालों को कड़ी सजा होनी चाहिए

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: हमारे देश व राज्य में दूसरे देश से अवैध ऱूप से घुस आए लोगों के खिलाफ तो कड़ी कार्रवाई हमेशा होनी चाहिए लेकिन इस बार जिस तरह कार्रवाई हो रही है वैसी कार्रवाई इससे पहले नहीं होती थी, क्योंकि दूसरे देश से हमारे देश व राज्य में आए लोगों को कोई गंभीर बड़ी समस्या नहीं माना जाता था। सरकार व पुलिस भी इसे गंभीर समस्या नहीं मानती थी। इसलिए दूसरे देश से आए लोग राज्य में बसते रहे और उनको छत्तीसगढ़ में बसना सहज सरल भी लगा क्योंकि उनसे कोई पूछता तक नही था कि आप इस राज्य के हो या बाहरी हो। दूसरे राज्य से आए लोगों से पूछताछ ही नहीं होती थी इसलिए वह पकड़े भी नहीं जाते थे।
पहली बार भूपेश बघेल सरकार के समय बांग्लादेशियों को छत्तीसगढ़ में वोट के लिए बसाने के आरोप भाजपा नेताओं ने लगाए थे।तब की सरकार इस बात से इंकार करती थी लेकिन आज रोज बांग्लादेशियों की गिरप्तारी हो रही है तो तब के लगाए गए आरोप आज तो सच साबित हो रहे हैं कि वोट के लिए दूसरे देश के लोगों को क्षेत्र विशेष में बसाया गया है।हमारे देश में घुसपैठ को कभी बड़ी समस्या नहीं माना गया क्योंकि हमारी सीमा कई देशों से लगती है और सीमा पर ऐसी व्यवस्था की ही नहीं गई कि दूसरे देश के लोग हमारे देश में घुस न सकें। हमारे देश की जनस्ंख्या बढ़ने का एक कारण यह घुसपैठ भी है।कई बार दूसरे देश से लोग यहां घूमने आते हैं और वापस नहीं जाते हैं, ऐसे लोगों को भी पकड़कर भेजा नहीं जाता है।
एक बार हमारे देश व राज्य में आ जाने के बाद यदि यहां के लोग कुछ पैसों के लिए उनकी मदद न करें और पुलिस को सूचना दे कि यह दूसरे देश का है तो उसे पकड़कर उसके देश भेजना कोई मुश्किल काम नहीं है, घुसपैठियों को पकड़ना मुश्किल इसलिए होता है कि यहीं के लोग उनके सारे प्रमाणपत्र बनाते हैं जिससे वह साबित कर सकें कि वह तो यहीं के रहने वाले हैं।घुसपैठियों के पास किसी तरह का प्रमाणपत्र न हो तो उनको आसानी पहचाना व पकड़ा जा सकता है। घुसपैठियों को तो मकान मालिक को भी किराए पर घर नहीं देना चाहिए लेकिन वह भी थोड़े से पैसे के लिए उनको घर किराए पर देते हैं और पुलिस को बताते भी नहीं है कि यह घुसपैठिया है।
घुसपैठियों का प्रमाणपत्र बनाने वालों, घर किराए पर देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है तो यह अच्छी बात है इससे घुसपैठियों मेंं संदेश जाएगा कि छत्तीसगढ़ मे उनका रहना आसान नहीं है, वह यहां कभी भी पकड़े जा सकते हैं। इससे घुसपैठियों का मदद करने वालों को संदेश जाएगा कि इनकी मदद करना करने के मतलब है जेल जाना है तो वह भी भविष्य में घुसपैठियों का मदद करने से डरेगे।घुसपैठिए आम आदमी होते हैं, रोजी रोटी की तलाश में आए होते हैं तो वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं होते हैं लेकिन जो लोग देश में अशांति फैलाने आते हैं, वह वाकई देश के लिए खतरा होते हैं। ऐसे लोगों का उपयोग देशविरोधी ताकते देश में अशांति फैलाने के लिए करते हैं। दिल्ली में हुए दंगे के पीछे इन्ही बांग्लादेशियों का हाथ था।
अब वक्त आ गया है कि केंद्र व राज्य सरकारें घुसपैठियों की समस्या काे गंभीरता से ले उनकी पहचान कर उनको पकड़कर उनके देश छोड़कर आए जैसे अमरीका ने वहां अवैध रूप से रह रहे भारतीयों के साथ किया है।घुसपैठियों को सीमा पर ही न घुसने देने के लिए कड़ी व्यवस्था करनी होगी, क्योंकि एक बार वह देश के भीतर घुस जाते हैं तो उनकी पहचान मुश्किल होती है और उनको पकडऩा और मुश्किल होता है। उनको किसी सत्तारुढ़ राजनीतिक दल संरक्षण मिल जाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी आसान नहीं होती है।जैसा पं. बंगाल में होता है। घुसपैठियों को कुछ राजनीतिक दल देश का दुश्मन मानने की जगह चुनाव जिताने वाला सहयोगी मानते हैं तो समस्या और गंभीर हो जाती है।छत्तीसगढ़ में भी पिछली सरकार में घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई कहां हुई थी, सीधे कह दिया गया है राज्य में कोई घुसपैठिया नहीं है। उस वक्त थे तब ही तो आज पकड़े जा रहे हैं।