मौका मिला तो देश के लिए काम किया ना

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: आमतौर पर देश की राजनीति में होता यह है कि चाहे वह राज्यसभा सांसद हो या लोकसभा सांसद हो,वह पार्टी नेतृत्व जैसा चाहता है, वैसा ही सोचता है, वैसा ही कहता है, वैसा ही करता है क्योंकि पार्टी में रहने की शर्त ही यही होती है कि वह पार्टी नेतृत्व व पार्टी विचारधारा पर यकीन करे और वैसा ही करे जैसा नेतृत्व चाहता है, जैसा पार्टी चाहती है। पार्टी के सांसदों की अपनी कोई स्वतंत्र सोच नहीं होती है। वह कुछ नया सोच नहीं सकते, नया कह नहीं सकते, नया कर नहीं सकते।पार्टी ने सांसद बनने का मौका दिया है तो पार्टी की कठपुतली बने रहे। पार्टी की कठपुतली बने रहने वाले सांसद को ही अनुशासित, पार्टी का वफादार सांसद माना जाता है।वह देशहित में कुछ सोच नहीं सकते, कह नहीं सकते, कर नही सकते।
पीएम मोदी ने देश के राजनीतिक दलों के ५९ सांसद को पहली बार बड़ा काम करने का मौका दिया। देश के लिए काम करने का मौका दिया। पार्टी की विचारधारा, नेतृत्व की वफादारी से ऊपर उठकर काम करने का मौका दिया।पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ विश्व भर में पहलगाम घटना व आपरेशन सिंदूर के बाद फेक न्यूज फैलाना शुरू किया। ऐसे पाकिस्तान के आतंकवाद के पालने पोसने व बढ़ावा देने की नीति की पोल खोलना जरूरी थी। दुनिया का बताना था कि पाकिस्तान आतंकवाद काे बढ़ावा देने वाला देश है, उसी ने पहलगाम में आतंकवादी भेजे थे।यह काम भाजपा के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल भेजकर भी मोदी सरकार कर सकती थी।ऐसे में यह भाजपा सरकार का काम होता।सरकार ने इस काम के लिए भाजपा सहित विपक्ष के सांसदों को चुना और उनको विश्व के ३३ देशों में भेजा।
पूरी दुनिया में पाकिस्तान की हकीकत बताकर सांसदों का प्रतिनिधिमंडल देश वापस आ चुका है। सभी से पीएम मोदी बडी आत्मीयता से मिले।सभी देशहित का काम करके लौटे तो पीएम मोदी ने सबका आभार माना कि उन्होंने देश के लिए बड़ा काम किया है। इसके लिए देश उनका आभारी रहेगा।ऐसा दृश्य देश में इससे पहले कभी देखा नहीं गया था जब विपक्ष के बड़े नेता और पीएम इस तरह मिले हों। देश के लोगों को भी यह दृश्य बहुत अच्छा लगा कि इस देश के विपक्ष के नेता पार्टी लाइन से उठकर देश के लिए सोच सकते है, कर सकते हैं। इससे पहले देश के विपक्ष के सांसदो को ऐसा मौका भी नहीं दिया जाता था।
पहली बार देश के कई राजनीतिक दलों के सांसदों में यह भाव पैदा हुआ है कि वह किसी पार्टी के सासंद होने के साथ है देश के सांसद भी है। उनका काम देश के लिए कुछ करने का है।पहली बार देश के सांसदों को भी लगा है कि मौका मिले ताे वह भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर के लिए काम कर सकते है। यह संस्कार को पार्टी के सांसदों में पार्टी के नेता को पैदा करना चाहिए। यह काम पीएम नरेंद्र मोदी ने किया है।देश के लिए काम करने पर अपनी पार्टी के नेताओं का पार्टी नेतृत्व द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए तो उनका अपमान किया गया है। जैसे उन्होंने देश के लिए काम करके कोई गुनाह किया है। किसी पार्टी ने देश के लिए काम करने वाले सांसदों का सम्मान नहीं किया तो क्या हुआ देश के लोगों में उनका सम्मान बढ़ा है। वह अब किसी पार्टी के सामान्य सांसद नहीं है, देश के लिए काम करने वाले सांसद हैं।
विभिन्न सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विश्व व देश के भीतर सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए इसे स्थायी रूप दिया जाना चाहिए। यानी हर साल सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विदेश भारत की नीति,भारत के लक्ष्य,विश्व की समस्या पर बात करने के लिए कई देशों में भेजा चाहिए। इससे हमारे देश के सांसद को जो हमेशा पार्टी के ही सांसद बने रहते हैं, उनको देश का सांसद बनने का मौका मिलेगा। उनकी देश व विश्व की समस्या पर अपनी सोच होगी। वह पार्टी के साथ ही देश के बारे में सोच सकेंगे और मौका आएगा तो वह पार्टी लाइन से ऊपर उठकर देश के लिए काम करने काे भी तैयार होंगे।देश के सांसदों को दूसरे देशों की संसद व सांसदों से मिलने का मौका भी मिलेगा। इससे देशों के सांसदों के बीच विचार विमर्श होगा।वह अपने देश व विश्व के बार में ज्यादा अच्छे से सोच सकेंगे।