बड़ा नुकसान हो तो नक्सली पलटवार करते हैं

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: नक्सलियों को जब भी बड़ा नुकसान होता है,उनका कोई बड़ा ठिकाना नष्ट कर दिया जाता है या फिर कोई बड़ा नेता मार दिया जाता है तो नक्सली पलटवार जरूर करते हैं। ऐसा वह कई बार कर चुके हैं,इसलिए सुरक्षा बलों को भी मालूम है। इसलिए सुरक्षा बल व पुलिस नक्सलियों को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं तो वह सजग रहते हैं, अपनी सुरक्षा में कोई चूक नहीं करते हैं।वह नक्सलियों का कोई मौका नहीं देते हैं कि वह पलटवार कर सुरक्षा बल या पुलिस को किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकें।सजग रहने के बाद भी कई बार चूक हो ही जाती है और मौके का इंतजार कर रहे नक्सली फायदा उठा लेते हैं। सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक के डोड्रा के पास नक्सली मौके का फायदा उठाने में सफल हो गए।
अपनी सुरक्षा के प्रति सजग जवाब नक्सलियों के बिछाए जाल को समझते हुए उस जगह चले गए और ताक मे बैठे नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट कर दिया। इस विस्फोट में एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए और कोंटा एसडीओपी भानुप्रताप चंद्राकर व थाना प्रभारी सोनल ग्वाला घायल हो गए।कई बार नक्सली ऐसा कर चुके हैं, पुलिस व सुरक्षा बल इस बात को बखूबी जानते हैं। इस बार पुलिस व सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के सबसे बड़े ठिकाने को नष्ट करने के साथ ही उसके सबसे बड़े नेता को ढेर किया। उसके बाद दो और बड़े नेताओं का भी कुछ दिनों के भीतर ढेर कर दिया है। यह नक्सलियों के लिए बहुत बड़ा नुकसान था,वह इसका बदला लेने के लिए ही डाेड्रा में पोकलेन को आग लगा दी थी, वह जानते थे पोकलेन काे आग लगाने की खबर पर पुलिस टीम मौके पर जरूर आएगी।
पुलिस टीम भी इस बात को जानती थी कि पोकलेन का आग लगाना नक्सलियो की चाल हो सकती है,इसलिए पुलिस टीमने मौके पर पहुंचने से पहले मुखबिर को मौके पर भेजा कि जाओ पता कर आओ कि वहां कोई खतरे की बात तो नहीं है, मुखबिर ने लौट कर बताया कि वहां तो कुछ भी गड़बड़ी नहीं है। इसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और जहां पक्की सड़क खत्म हो गई, वहां से पुलिस टीम पैदल कच्चे रास्ते पर बढ़ रही थी। इस दौरान एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे अपनी टीम को सावधान करते चल रह थे कि इसी दौरान नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट कर दिया है।
एएसपी गिरिपुंजे अपनी टीम को बचाने में सफल रहे लेकिन खुद को नहीं बचा सके। अगर कच्चे रास्ते पर पुलिस टीम वाहन के साथ गई होती तो नक्सली पुलिस वाहन को उड़ाकर में सफल हो जाते और पुलिस टीम शहीद हो जाती।सुरक्षा बलों व पुलिस ने नक्सलियों का बड़ा नुकसान कर चुके हैं और कर रहे है, ऐसे नक्सली मौके की ताक में थे और मौका पाकर पलटवार किया भी।नक्सलियों के पलटवार से बड़ा नुकसान हो सकता था, शुक्र है कि नहीं हुआ।नक्सली बड़े नेता के मारे जाने के जवाब में पहले भी एसपी व एएसपी को निशाना बनाया है।२००० नारायणपुर में एएसपी भास्कर दीवान सहित २४ नक्सलियों के हमले में शहीद हुए थे। २००९ में राजनांदगांव के एसपी वीके चौबे सहित ३० जवान शहीद हुए थे। २०११ में एएसपी राजेश पवार सहित ११ जवान गरियाबंद में शहीद हुए थे।इस बार पुलिस टीम सजग थी इसलिए एएसपी शहीद हुए दाे अफसर घायल हुए। नक्सली आगे भी इसी तरह जाल बिछाकर हमला कर सकते हैं, सुरक्षा बल व पुलिस के जवानों को सजग रहने की जरूरत है।