भारत में मतदाता सूचियां तैयार करना सबसे कठोर, पारदर्शी प्रक्रियाओं में से एक : ज्ञानेश कुमार

नयी दिल्ली / स्टॉकहोम{ गहरी खोज }: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भारत में मतदाता सूची तैयार करने के काम को दुनिया की सबसे कड़ी और पारदर्शी प्रकियों में एक बताते हुए कहा है कि इसके लिए आयोग की ओर से परिचालित मजबूत तंत्र देश में चुनावों की विश्वसनीयता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
श्री कुमार मंगलवार शाम स्वीडन में ईमानदारी के साथ चुनाव विषय पर स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। उन्होंने यह बात ऐसे समय की है जबकि कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गयी मतदाता सूचियों को लेकर कुछ प्रश्न पुन: उठाए हैं और आयोग ने उनको खारिज किया है।
श्री कुमार ने अपने संबोधन में भारत में वर्ष 1960 से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष पुनरीक्षण के दौरान और चुनावों से पहले भी सभी मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के साथ भारत की निर्वाचक नामावली सांविधिक तरीके से साझा करने की व्यवस्था का उल्लेख किया।
आयोग की बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार वहां अपने संबोधन में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा,“ इस प्रक्रिया में जिसमें दावों, आपत्तियों और अपीलों का प्रावधान किया गया है और जो विश्व की कठोरतम और पारदर्शी कार्यकलापों में से एक है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की सटीकता और सत्यनिष्ठा की पुनःपुष्टि होती है।”
उन्होंने कहा,“यह मजबूत तंत्र साल-दर-साल देश भर में चुनावी विश्वसनीयता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है।
श्री कुमार ने इस सम्मेलन में 50 देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक प्रतिभागियों के समक्ष भारत की चुनावी सत्यनिष्ठा, इसके व्यापक स्तर और विविधता पर प्रमुखता से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव कराना राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने विश्व भर के देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के लिए क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की भूमिका को भी रेखांकित किया।
अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन सहायता संस्थान (इंटरनेशनल आईडीईए) द्वारा स्वीडन के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में श्री कुमार ने भारत में विशेष रूप से संसदीय चुनावों के दौरान किए जाने वाले चुनाव संबंधी कार्यों के व्यापक स्तर के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, आम जनता, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों तथा मीडिया की कड़ी निगरानी में कराए जाते हैं ।
उन्होंने कहा,“ ये सभी (राजनीतिक दल से लेकर मीडिया तक) विभिन्न चरणों में समवर्ती लेखा-परीक्षकों के समान कार्य करते हैं। ”
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने चुनाव कार्य में विभिन्न सराकारी एजेंसियों के बीच समन्वय के व्यापक स्तर पर भी प्रमुखता से प्रकाश डाला जिससे भारत में चुनावों के संचालन को व्यववस्था को शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आयोग यह सुनिश्चित करता है कि देश के एक अरब से अधिक स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग ले सकें।
श्री कुमार ने यह भी बताया कि चुनावों के संचालन के समय आयोग के साथ मतदान कार्मिकों, पुलिस बलों, प्रेक्षकों और राजनीतिक दलों के एजेंटों सहित दो करोड़ से अधिक कर्मियों की एक टीम काम कर रही होती है। उन्होंने कहा कि इस तर भारत का चुनाव आयोग विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन जाता है जिसके पास उपलब्ध कर्मियों की संख्या कई राष्ट्रीय सरकारों और प्रमुख वैश्विक निगमों के संयुक्त कार्यबल की संख्या को भी पार कर जाता है।
उन्होंने भारत में चुनावी व्यवस्थाओं में लगातार हो रही प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि संवैधानिक मूल्यों के दायरे में रहते हुए इस व्यवस्था ने स्वयं को बढ़ती हुई जटिलताओं के अनुकूल ढाल लिया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1951-52 में देश में 17.3 करोड़ मतदाता थे जिनकी संख्या 2024 में करीब 98 करोड़ हो गयी । शुरू में चुनाव के लिए केवल दो लाख मतदान केंद्रो की व्यवस्था की जाती थी जब कि आज 10.5 लाख मतदान केंद्र स्थापित किए जाते हैं। उन्होंने कहा,“ भारत की चुनावी यात्रा ने संस्थागत दूरदर्शिता और अतुलनीय स्तर दोनों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ”
मुख्य चुनाव आयुक्त ने भारत में राजनीतिक दलों की बड़ी संख्या और इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के प्रयोग तक का जिक्र किया। उन्होंने सम्मेलन को बताया कि भारत के वर्ष 2024 के आम चुनावों में 743 राजनीतिक दलों ने भाग लिया, जिनमें छह राष्ट्रीय दल, 67 राज्यीय दल और बाकी पंजीकृत राजनीतिक दल थे। इन चुनावों में कुल 20,271 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और 62 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का उपयोग किया गया।
उन्होंने भारतीय चुनाव व्यवस्था की समावेशी अभिकल्पना की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें पहली बार मतदाता बने मतदाताओं से लेकर 85 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, थर्ड जेंडर मतदाताओं और सर्वाधिक दुर्गम क्षेत्रों के मतदाताओं को समान सावधानी और प्रतिबद्धता के साथ सेवा प्रदान की जाती है।
श्री कुमार ने इसी संदर्भ में उल्लेख किया कि देश में ऐसी जगह भी मतदान केंद्र बनाए गए जहां मात्र एक मतदाता था । उन्होंने हिमाचल प्रदेश के ताशीगंग जैसे ऊंचाई पर अवस्थित मतदान केंद्रों का जिक्र किया और कहा कि यह ‘कोई मतदाता न छूटे’ की भारत की चुनाव व्यवस्था की प्रतिबद्धता के साथ संवैधानिक सिद्धांत के अनुपालन के प्रति उसका संकल्प भी दर्शाता है।
उन्होंने सम्मेलन के इतर वहां आए मैक्सिको, इंडोनेशिया, मंगोलिया, दक्षिण अफ्रीका, स्विटजरलैंड, माल्डोवा, लिथुआनिया, मॉरीशस, जर्मनी, क्रोएशिया, यूक्रेन और ब्रिटेन के चुनाव निकायों के अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
आयोग ने कहा कि इन बैठकों में चर्चा का विषय मतदाताओं की भागीदारी, चुनावी प्रौद्योगिकी, प्रवासी मतदान और संस्थागत क्षमता-निर्माण पर केंद्रित था।