केंद्र सरकार पड़ोसी देशों से ‘सार्थक संवाद’ के लिए अनुकूल माहौल बनाने में विफल रही है: पवार

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पुणे{ गहरी खोज }: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार पड़ोसी देशों के साथ ‘सार्थक संवाद’ के लिए अनुकूल माहौल बनाने में विफल रही है। पुणे में पार्टी के 26वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान भारत के अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध थे।
उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी ने कभी भी राष्ट्रीय हित से जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया। पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें कुछ नागरिक मारे गए थे, हमने सरकार की आलोचना नहीं करने का फैसला किया। इसके बजाय हमने जोर देकर कहा कि हम हमले के जवाब में केंद्र द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का समर्थन करेंगे।’’ पवार ने कहा, ‘‘अगर कोई भारत के नक्शे को देखे, तो उत्तर में पाकिस्तान और चीन हैं और पूर्व और दक्षिण में क्रमशः बांग्लादेश और श्रीलंका हैं। इन देशों के साथ भारत के संबंधों की वर्तमान स्थिति क्या है?’’ उन्होंने कहा कि नेहरू के नेतृत्व में भारत को सभी पड़ोसी देशों को साथ लेकर चलने का गौरव प्राप्त था।
वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हालांकि, आज पाकिस्तान और चीन के साथ हमारे संबंध खराब हो गए हैं। भारत के समर्थन से बना बांग्लादेश हमारे साथ खड़ा नहीं है। जहां तक ​​श्रीलंका का सवाल है, चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के साथ उसके गठजोड़ पर संदेह पैदा करता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘संक्षेप में, हम विश्वास के साथ नहीं कह सकते कि भारत वर्तमान में अपने किसी भी पड़ोसी के साथ सार्थक संवाद कर रहा है। यह सार्थक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने में नेतृत्व की विफलता को दर्शाता है। देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।’’
पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले (जिन्होंने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था) ने कहा कि इन देशों के नेताओं ने महात्मा गांधी को याद करने के अलावा नेहरू की यात्राओं और उनके भाषणों को याद किया।
सुले ने कहा, ‘‘उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व को भी याद किया। आज भी, जब हम दूसरे देशों में जाते हैं, तो वे मोदी जी की बहुत प्रशंसा करते हैं। लेकिन साथ ही, वे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बारे में भी बात करते हैं।’’

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