‘ऑपरेशन विजय’ के शहीदों के परिजनों को उनके निवास पर जाकर सम्मानित करेगी सेना

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : सेना 26वें करगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में करीब डेढ महीने तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी और शुरूआती कार्यक्रम में करगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देेने वाले योद्धाओं के परिजनों को इस सप्ताह उनके निवास पर ही सम्मानित किया जायेगा।
सेना के अनुसार ये कार्यक्रम विजय दिवस यानी 26 जुलाई तक आयोजित किये जायेंगे और इनमें देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले नायकों की अदम्य भावना, बलिदान और साहस का सम्मान किया जाएगा।
सेना ने इस सप्ताह एक विशेष संपर्क अभियान की योजना बनाई गई है जिसमें कारगिल युद्ध के दौरान राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले युद्ध नायकों के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा। अपनी तरह के इस पहले अभियान में सेना के प्रतिनिधि शहीदों के 545 निकटतम परिजनों से मिलेंगे और उनके निवास स्थान पर उनका सम्मान किया जाएगा। सेना कर्मियों की एक टीम सेना की ओर से आभार पत्र, एक स्मृति चिन्ह, विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार एजेंसियों द्वारा अधिकृत लाभों का विवरण लेकर 25 राज्यों, दो केंद्र शासित प्रदेशों तथा नेपाल का दौरा करेगी और युद्ध नायकों के परिवारों से बातचीत कर उनकी किसी भी समस्या के बारे में पूछताछ करेगी।
सेना शहीदों के परिवारों की सहायता के साथ-साथ इस अवसर का इस्तेमाल निकटतम परिजनों की शिकायतों को दूर करने के लिए भी करेगी। सेना विरासत को संरक्षित करने के लिए यादगार चीजें भी एकत्र करेगी और इन्हें कारगिल युद्ध स्मारक, द्रास में सम्मानजनक स्थान देगी। ये कार्यक्रम 26 जुलाई को करगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह के साथ समाप्त होंगे, जो देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुरों के सम्मान और आदर का प्रतीक है। डेढ महीने से भी अधिक समय तक चलने वाला यह स्मरणोत्सव न केवल अतीत का सम्मान करेगा, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों को सेवा तथा बलिदान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करेगा।
देश में हर वर्ष 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है जो राष्ट्र के दिल में गौरव और गंभीर यादों के साथ अंकित है। वर्ष 1999 में इसी दिन भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण करगिल की चोटियों को उनके कब्जे से छुड़ा कर ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक पूरा किया था।
करगिल युद्ध मजबूत राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाइयों की गाथा है। इस युद्ध को हमेशा रणनीतिक और सामरिक स्तर पर हासिल सफलताओं के लिए याद किया जाएगा, साथ ही युद्ध को कारगिल-सियाचिन सेक्टरों तक सीमित रखने के लिए सेना के संयम की राष्ट्रीय रणनीति और तेजी से क्रियान्वित की गई तीनों सेनाओं की सैन्य रणनीति के लिए भी याद किया जाएगा। राष्ट्र कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय सेना के सैनिकों द्वारा दिखाए गए दृढ़ संकल्प, वीरता और अद्वितीय बहादुरी को भी कभी नहीं भूलेगा।
इस वर्ष स्मरणोत्सव में स्थानीय समुदायों को शामिल करने और युद्ध के नायकों की यादों को समाहित करने के उद्देश्य से युद्ध के महत्वपूर्ण ऑपरेशन से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। ये कार्यक्रम पश्चिमी लद्दाख के बीहड़ और कठोर इलाकों में भारतीय सेना की देशभक्ति, साहसिक और सांस्कृतिक भावना को दर्शाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से डिजाइन किए गए हैं।

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