एक नये युग की शुरूआत

संपादकीय { गहरी खोज }: 1967-68 की बात है तब मैं स्कूल का छात्र था, कि अपने रिश्तेदारों के साथ पहली बार जम्मू-कश्मीर गया था। जम्मू में जिस बस से आगे की यात्रा शुरू करनी थी उसमें पिछली तीन या चार सीटों पर डाक के बड़े-बड़े बोरे रखे हुए थे। मेरे लिए यह एक नया अनुभव था। 35 सीटों वाली छोटी बस थी। उस समय दिमाग में यही विचार आया कि शायद सवारियां कम होने के कारण डाक के बोरों के साथ अन्य सामान भी बस के अन्दर रख लिया गया है।
जम्मू से जब श्रीनगर की ओर बस आगे बढ़ी तो शायद पत्नीटाप से पहले सड़क किनारे एक व्यक्ति 8-10 भेड़े व बकरियां लेकर खड़ा था और बस को रुकने का इशारा कर रहा था। उसके इशारे पर बस रुकी, बस कडंक्टर ने दो फट्टे दोनों तरफ की सीटों के बीच लगाकर बस के बीच का रास्ता बंद कर दिया और बस के पिछले दरवाजे से बकरियों और भेड़ों सहित उस व्यक्ति को बस में चढ़ा लिया। यह भी एक नया अनुभव था।
उपरोक्त घटना को याद करते हुए आज कटरा से श्रीनगर की रेल यात्रा विशेषतया वंदे भारत को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाकर शुरू करना जम्मू-कश्मीर के लिए एक नये युग की शुरुआत है, वहीं यह नये भारत की विकास यात्रा का भी एक मील पत्थर है। 19वीं शताब्दी में डोगरा महाराजा प्रताप सिंह द्वारा यह सपना देखा गया था, अब यह सपना साकार हो गया है। यह उपलब्धि हर दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। महाराज हरि सिंह के पौत्र एवं पूर्व सदर-ए-रियासत कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि उन्हें गर्व है कि डोगरा शासक की लगभग 130 साल पहले बनाई गई योजना आखिरकार साकार हो गई है। कश्मीर घाटी तक रेलवे लाइन परियोजना की परिकल्पना और रूपरेखा महाराजा प्रताप सिंह के शासनकाल में बनाई गई थी। यह न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि यह सपना हमारे प्रधानमंत्री द्वारा साकार किया गया। डोगरा शासक ने ब्रिटिश अभियंताओं को कश्मीर तक रेल मार्ग के लिए इलाके का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा था, यह एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना थी जो एक शताब्दी से भी अधिक समय तक अधूरी रही। उन्होंने विस्तृत रपट तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने के लिए तीन ब्रिटिश अभियंताओं को नियुक्त किया। हालांकि, 1898 से 1909 के बीच 11 वर्षों में तैयार की गई तीन में से दो रपटें अस्वीकार कर दी गई थी। जम्मू-कश्मीर अभिलेखागार विभाग के विशेष दस्तावेजों के अनुसार, कश्मीर तक रेल संपर्क का विचार पहली बार एक मार्च 1892 को महाराजा द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इसके बाद, जून 1898 में, ब्रिटिश इंजीनियरिंग फर्म ‘एस आर स्काट स्ट्रैटन एंड कंपनी’ को सर्वेक्षण करने और परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए नियुक्त किया गया।
रेल सेवा शुरू करने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत मां वैष्णों देवी को प्रणाम करके की। उन्होंने कहा कि ये वीर जोरावर सिंह की भूमि है। मैं धरती को प्रणाम करता हूं। आज का ये कार्यक्रम भारत की एकता और इच्छाशक्ति का विराट उत्सव है। माता वैष्णों देवी के आशीर्वाद से वादी-ए-कश्मीर रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। उधमपुर, श्रीनगर, बारामूला ये रेल लाइन प्रोजेक्ट सिर्फ नाम नहीं है, ये जम्मू-कश्मीर के नए सामर्थ्य की पहचान है। भारत के नए सामर्थ्य का जयघोष है। पीएम ने कहा, हमने कश्मीर को रेलवे से जोड़ने का काम पूरा करके दिखाया। कोविड में मुसीबतें आईं, लेकिन हम डटे रहे। मौसम की परेशानी, पहाड़ों से गिरते पत्थर… ये सब चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना है। कुछ महीने पहले सोनमर्ग टनल शुरू हुई है। कुछ देर पहले चिनाब और अंजी ब्रिज होकर आया हूं। इन पुलों पर चलते हुए मैंने भारत के बुलंद इरादों, हमारे इंजीनियर-श्रमिक के हुनर को जिया है। चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। लोग फ्रांस में एफिल टॉवर देखने जाते हैं, ये ब्रिज एफिल टॉवर से भी बहुत ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के जरिए कश्मीर देखने आएंगे, ये ब्रिज अपने आप में टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। लोग सेल्फी पॉइंट पर सेल्फी लेंगे। अंजी ब्रिज इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है। यह भारत का रेलवे का पहला केबल स्टे ब्रिज है। दोनों पुल भारत की जीवंत शक्ति का प्रतीक है। यह उज्ज्वल भारत की सिंहगर्जना है। पीएम मोदी ने कहा कि चिनाब ब्रिज हो या अंजी ब्रिज, ये जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का जरिया बनेंगे। इससे टूरिज्म के साथ रेल कनेक्टिविटी और बिजनेस भी बढ़ेगा। इससे इंडस्ट्री को गति मिलेगी। कश्मीर के सेब देश के बड़े बाजारों तक समय पर पहुंच पाएंगे। सूखे मेवे, पश्मीना शॉल, हस्तशिल्प देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा। जम्मू-कश्मीर के लोगों का देश के किसी भी हिस्से में आना-जाना आसान होगा। मैंने पढ़ा कि एक स्टूडेंट ने कहा कि उसके गांव के ज्यादातर लोगों ने ट्रेन का वीडियो देखा था। उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि ट्रेन उनके सामने से गुजरेगी। लोग ट्रेन के आने-जाने का समय याद कर रहे हैं। एक बिटिया ने लिखा कि अब मौसम से रास्ते बंद नहीं हुआ करेंगे।
जम्मू-कश्मीर की धरती से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे पड़ोस का देश, मानवता का विरोधी, मेलजोल का विरोधी है। वह ऐसा देश है जो गरीब की रोजी-रोटी का भी विरोधी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, वह इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान ने इंसानियत और कश्मीरियत पर हमला किया। उसका इरादा कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई को रोकना था, इसलिए टूरिस्ट पर हमला किया। वो टूरिज्म जो लगातार बढ़ रहा था, यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट आ रहे थे, जिससे जम्मू-कश्मीर के लोगों के घर चलते हैं, पाकिस्तान ने उन्हें निशाना बनाया। पाकिस्तान की साजिश इन सबको तबाह करने की थी। आतंकियों को चुनौती देने वाला आदिल भी मेहनत कर रहा था, आतंकियों ने उसे भी मार दिया। पाकिस्तान की साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं, जम्मू-कश्मीर की अवाम ने जो ताकत दिखाई है, दुनिया को जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कड़ा संदेश दिया है। यहां के लोग आतंकवाद को कड़ा जवाब देने का मन बना चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर के रेल मार्ग से जुड़ना विशेषतया घाटी के लोगों के लिए नये युग की शुरुआत है। घाटी में रेल सेवा के कारण पर्यटन उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, निवेश बढ़ेगा। परिणामस्वरूप वहां के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा।
जम्मू-कश्मीर का रेल मार्ग से जुड़ने से जहां देश का बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है वहीं जो दो नये ब्रिज बने हैं उसे भारतीय सेना को बहुत लाभ मिलेगा। पिछले दिनों हुए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान पाकिस्तान व चीन की नजदीकियों से स्पष्ट होता है कि यह दोनों पड़ोसी मिलकर भारत के लिए परेशानियां बढ़ा सकते हैं। रेल सेवा शुरू होने व दो ये ब्रिज बनने से भारतीय सेना अब इस स्थिति में आ गई है कि वह दोनों देशों का एक साथ सामना करने में समर्थ हो गई है।
भारत सरकार ने वह कर दिखाया है जिसका सपना 130 वर्ष पहले देखा गया था। सरकार के इस कदम से जम्मू-कश्मीर वासियों का देशवासियों के साथ रिश्ता पहले से कहीं अधिक मजबूत होगा। जम्मू-कश्मीर सहित देशवासियों को इस इतिहासिक उपलब्धि के लिए बहुत-बहुत बधाई। इस सारी योजना से जुड़े अधिकारियों से लेकर इंजीनियर और अन्य कर्मचारियों के साथ श्रमिकों को भी विशेष बधाई, जिन्होंने इस योजना को पूरा कर देश का मान-सम्मान बढ़ाया है।