सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों को दी गिरफ्तारी से राहत

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में कथित तौर पर मारपीट और जान के खतरे की आशंका के खिलाफ दायर दो पत्रकारों की याचिकाओं पर गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की सोमवार को अनुमति दी।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने याचिकाकर्ता दोनों पत्रकारों -शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान को गिरफ्तारी से तो राहत दी, लेकिन किसी अन्य प्रकार की राहत के लिए उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जाने को कहा।
पीठ ने कहा,“हम याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं। हालांकि, आरोपों को देखते हुए, हम याचिकाकर्ताओं को आज से (नौ जून 2025) दो सप्ताह के भीतर संबंधित उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देते हैं। इस बीच जब तक याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय नहीं जाते तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।”
याचिकाकर्ताओं ने अधीक्षक असित यादव सहित भिंड पुलिस पर हिरासत में हिंसा, जाति-आधारित दुर्व्यवहार और जान को लगातार खतरा होने का आरोप लगाया है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दो जून‌ को उन पत्रकारों की याचिका पर नौ जून को सुनवाई करने की सहमति व्यक्त की थी।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि अवैध रेत खनन गतिविधियों से संबंधित (रेत माफिया के बारे में) रिपोर्टिंग करने पर मध्य प्रदेश के कुछ पुलिस अधिकारियों ने उन पर हमला किया था।
पत्रकारों का पक्ष रखने वाले वकील ने अदालत के समक्ष कहा था कि दोनों को अपने जान पर खतरा मंडरा रहा है। उन पर ‘झूठे और मनगढ़ंत’ मामलों में गिरफ्तारी का खतरा है। उन्होंने कहा था,“यह बहुत गंभीर मामला है…उन्हें एक पुलिस कार्यालय में पीटा गया…वे अब शरण लेने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।”
याचिका के अनुसार, मारपीट की यह घटना एक मई को भिंड जिले में हुई थी, जहां दो पत्रकारों को पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर कथित रूप से पीटा गया था।
उस दिन पीठ की ओर से यह पूछे जाने पर कि इस मामले में उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए, वकील ने कहा,“यह वास्तव में उन मामलों में से एक है…उनके पास साधन नहीं हैं।”
वकील ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया था कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कथित हमले की निंदा की है। उन्होंने संबंधित पत्रकारों के जान पर गंभीरता को जोरदार तरीके से उठाया है।

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