शिक्षा मद का 2291.30 करोड़ रोकने के मामले में तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार पर समग्र शिक्षा योजना (एसएसएस) की 2291.30 करोड़ रुपए की धनराशि रोकने का आरोप लगाते हुए उसका भुगतान करने का निर्देश देने की तमिलनाडु सरकार की याचिका पर शीघ्र तत्काल सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने मामले का विशेष उल्लेख करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन की तत्काल सुनवाई की दलीलें सुनने के बाद कहा,“इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है, इसे आंशिक कार्य दिवसों (ग्रीष्मकालीन अवकाश) के बाद इस पर सुनवाई की जा सकती है।”
तमिलनाडु सरकार ने लाखों बच्चों के पढ़ाई संबंधित नुकसान का का हवाला देते हुए अपनी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। अपनी याचिका में उसने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और पीएम श्री के कार्यान्वयन न करने के कारण के केंद्र सरकार एसएसएस के तहत उसे (तमिलनाडु) मिलने वाली धनराशि रोक रही है।
राज्य की द्रमुक सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर अपनी मूल याचिका में उसने केंद्र सरकार को 2,291.30 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की, जिसमें एक मई, 2025 से लेकर डिक्री की प्राप्ति तक 2,151.59 करोड़ रुपये की मूल राशि पर छह फीसदी प्रति वर्ष ब्याज शामिल है।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि तमिलनाडु द्वारा 2024 में और इस साल भी इसी तरह की याचिकाएँ दायर की गई थीं।
अपने मुकदमे में राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा तय की जाने वाली समय-सीमा के भीतर 2291.30 करोड़ रुपये की वसूली के साथ-साथ मूल राशि पर छह फीसदी प्रति वर्ष की दर से भविष्य का ब्याज की मांग की है।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विल्सन ने मामले को सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि धन की अनुपलब्धता 48 लाख छात्रों को प्रभावित करेगी क्योंकि नया शैक्षणिक सत्र तीन जून से शुरू हो गया है।