एचडीएफसी बैंक ने अपने सीईओ के खिलाफ लीलावती ट्रस्ट के आरोपों को बताया निराधार

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: एचडीएफसी बैंक ने लीलावती ट्रस्ट के इस आरोप का खंडन किया है कि बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) और सीईओ शशिधर जगदीशन कई वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल थे। ट्रस्ट मुंबई में लीलावती अस्पताल की देखरेख करता है।
एचडीएफसी बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (एलकेएमएम ट्रस्ट), उसके ट्रस्टियों और अधिकारियों द्वारा बैंक के एमडी और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं।
प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ”अपमानजनक और बेतुके आरोपों का दृढ़ता और स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है।” ट्रस्ट ने एचडीएफसी बैंक के बोर्ड, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय से जगदीशन को तत्काल प्रभाव से सभी कार्यकारी और बोर्ड भूमिकाओं से निलंबित करने का आह्वान किया था।
ट्रस्ट ने आरोप लगाया था, ”जब्त की गई नकदी डायरी से पता चला कि ट्रस्टियों ने 14.42 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपये जगदीशन को मिले, जिससे उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता साबित हुई। इसके बाद बंबई की एक अदालत के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की गई।” एचडीएफसी बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि जगदीशन को बेईमान व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, जो लंबे समय से बैंक का बकाया ऋण की वसूली को रोकने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। बयान में कहा गया, ”ट्रस्टी प्रशांत मेहता और उनके परिवार के सदस्यों पर एचडीएफसी बैंक का काफी बकाया था, जिसे कभी चुकाया नहीं गया। बैंक द्वारा दो दशकों से अधिक समय से वसूली और प्रवर्तन कार्रवाई की जा रही है और हर स्तर पर प्रशांत मेहता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने कई परेशान करने वाली कानूनी कार्रवाई की है।” प्रवक्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय सहित सभी स्तरों पर लगातार विफल होने के बाद, उन्होंने अब बैंक के एमडी और सीईओ पर हाल ही में दुर्भावनापूर्ण व्यक्तिगत हमलों का सहारा लिया है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद बैंक को डरा-धमका कर वसूल की कार्यवाही को रोकना है।

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