आपदा रोधी उपायों को शिक्षा में शामिल किया जाय, वित्तपोषण की मजबूत व्यवस्था हो: मोदी

PMs remarks at the International Conference on Disaster Resilient Infrastructure (ICDRI) 2025 via video conferencing on June 07, 2025.
नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व समुदाय से आपदा से निपटने के लिए वित्त-पोषण की अभिनव व्यवस्था किये जाने और आपदा रोधी उपायों को शिक्षा का हिस्सा बनाये जाने पर बल दिया है।
श्री मोदी ने आपदा रोधी अवसंरचना पर फ्रांस के नाइस शहर में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वीडियाे कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्री मोदी ने कहा,
“ आपदा से निपटने के लिए अभिनव वित्त पोषण की आवश्यकता है। हमें कार्रवाई योग्य कार्यक्रम तैयार करने चाहिए और वित्त तक विकासशील देशों की पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। ”
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि आपदा से निपटने के लिये पाठ्यक्रम, मॉड्यूल और कौशल विकास कार्यक्रम को उच्च शिक्षा का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे कुशल कार्यबल का निर्माण होगा, जो भविष्य की चुनौतियों से निपट सकता है।
शनिवार को सम्पन्न हो रहा दो दिन का यह शिखर सम्मेलन पहली बार यूरोप में आयोजित किया गया है। पिछले साल अप्रैल में नयी दिल्ली में हुआ था। इस बार सम्मेलन का विषय है- “ तटीय क्षेत्रों के लिए सुदृढ़ भविष्य को आकार देना।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदाओं का सामना करते हैं और प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण के विषय में दूसरे देशों के अनुभवों
से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन विषयों में सर्वोत्तम प्रथाओं का एक वैश्विक डिजिटल संग्रह तैयार करना लाभकारी होगा।
श्री मोदी ने कहा, “ हम छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में देखते हैं। उनकी अतिसंवेदनशीलता के कारण उन पर विशेष रूप पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ”
उन्होंने आपदाओं के संबंधी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की मज़बूती और समन्वय के महत्व को भी रेखांकित किया।
श्री मोदी ने अपने संबंधन में इस सम्मेलन के लिये फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और फ्रांस सरकार की ओर से दिये गये सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के विषय का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षेत्र और द्वीप अतिशय जोखिम में हैं। उन्होंने कहा, “ हाल के दिनों में, हम : भारत और बंगदेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी, अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो की आपदा को देखा है। ऐसी आपदाओं ने जान-माल को हानि पहुंचायी है।”
उन्होंने कहा, “ भारत ने भी 1999 के सुपर-साइक्लोन और 2004 की सुनामी के दौरान इस दर्द को झेला है। हमने मजबूती को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन और पुनर्निर्माण किया। संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया गया। हमने 29 देशों के लिए सुनामी चेतावनी प्रणाली बनाने में भी मदद की। ”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की पहल पर शुरू किया गया आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ काम कर रहा है। मजबूत मकान, अस्पताल, स्कूल, ऊर्जा, जल सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है।