केरल में कोविड के बढ़ते मामलों के बीच मानसून बीमारियों का खतरा बढ़ा

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तिरुवनंतपुरम{ गहरी खोज }: केरल में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच मानसून के समय से पहले आगमन के साथ इन्फ्लूएंजा, मौसमी फ्लू, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड जैसी मानसूनी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
राष्ट्रीय संचारी रोग कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा कि कोविड-19 और मानसूनी बीमारियों के लक्षण समान हैं जिनमें बुखार, शरीर में दर्द, थकान, सिरदर्द, गले में खराश और उल्टी शामिल हैं, जिससे इन दोनों बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए लोगों के लिए इन बीमारियों के विशिष्ट लक्षणों को जानना महत्वपूर्ण है ताकि सही और समय पर ध्यान दिया जा सके।
राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के प्रधान अन्वेषक डा़ पुरोहित ने कहा, ‘बीमारियों के विशिष्ट लक्षणों को ध्यान से देखना चाहिए तभी अंतर पहचाना जा सकता है। डेंगू और मलेरिया में अक्सर ठंड लगने और शरीर पर चकत्ते के साथ तेज बुखार होता है, टाइफाइड में पेट में दर्द और धीरे-धीरे बुखार बढ़ता है जबकि कोविड-19 में गंध की कमी, खांसी और सांस लेने में समस्या हो सकती है। हालांकि किसी चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा उचित जांच ही बीमारी की सही पहचान करने और भ्रम से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।’
उन्होंने कहा, ‘अच्छी तरह से आराम करना और स्वस्थ भोजन और तरल पदार्थ का सेवन करना महत्वपूर्ण है। अगर किसी को कोविड-19 होने का संदेह है, तो तुरंत अलग-थलग हो जाना भी महत्वपूर्ण है।’
उन्होंने सलाह दी ‘अपने स्वास्थ्य की निगरानी करें, मास्क पहनें और बिना समय बर्बाद किए डॉक्टर से सलाह लें। सही बीमारी जानने के लिए जांच करवाएं, ताकि बिना देरी किए सही उपचार शुरू किया जा सके। कोई भी घरेलू उपचार न आजमाएं और खुद से दवा लेने से बचें।’
उन्होंने कहा, ‘लक्षणों से परे बीमारी की पहचान करने के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा, ‘लक्षणों के अनुसार रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) या एंटीजन टेस्ट के साथ-साथ सीबीसी (कम्प्लीट ब्लड काउंट), डेंगू एनएस1 (नॉन-स्ट्रक्चरल प्रोटीन 1) और एमपी (मलेरिया पैरासाइट) टेस्ट करवाएं।’
उन्होंने चेतावनी दी कि ‘जब 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, प्रतिरक्षा में कमी वाले व्यक्तियों, बिना टीकाकरण वाले लोगों और मधुमेह और हृदय रोग जैसी सहवर्ती बीमारियों वाले लोगों को कोविड-19 के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए, वहीं भारी वर्षा, खराब जल निकासी और मच्छरों के संक्रमण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मानसून की बीमारियों के संक्रमण का अधिक खतरा होता है।’
उन्होंने कहा ‘इसके अलावा बच्चों और गर्भवती महिलाओं को डेंगू और मलेरिया होने की अधिक संभावना हो सकती है और खुले घाव वाले या दूषित पानी के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को लेप्टोस्पायरोसिस का अधिक खतरा हो सकता है।’

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