अपने कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि को इसी साल निवल रूप से शून्य कर सकती है भारतीय रेल: वैष्णव

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The Union Minister for Education, Shri Dharmendra Pradhan at the launch of ‘Ek Ped Maa Ke Naam 2.0’ campaign, in New Delhi on June 05, 2025.

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कहा है कि भारतीय रेल अपने परिचालन में कार्बन उत्सर्जन की गहनता कम कर उसकी वृद्धि को शुद्ध रूप से शून्य करने के लक्ष्य को इसी साल हासिल कर सकती है।
श्री वैश्णव ने विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को प्रकाशित अपने एक लेख में कहा, “ प्रधानमंत्री ने रेलवे के सामने 2030 तक ‘नेट जीरो’ तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। विद्युतीकरण की त्वरित गति और माल ढुलाई का काम बड़े पैमाने
पर सड़क मार्ग से रेल मार्ग पर आने से भारतीय रेल नेट जीरो के लक्ष्य (स्कोप 1 यानी अपने खुद के परिचालन में) तक 2025 में ही पहुंचने की राह पर बढ़ रही है। ”
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस लेख को अपने सोसल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट किया है। इसमें श्री मोदी ने लिखा है,
“ भारतीय रेल हरे-भरे भविष्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भमिका निभा रही है। ”
नेट जीरो या निवल शून्य उत्सर्जन का तात्पर्य मानवीय गतिविधियों से वातावरण में बढ़ने वाले कार्बन उत्सर्जन के स्तर और उसमें कमी के बीच संतुलन से है।
रेल मंत्री ने लिखा है कि 2014 से पहले 60 साल में भारतीय रेल ने 21,000 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण किया था। पिछले 11 वर्ष में मोदी सरकार के दौर में 47 हजार किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया है और 99 प्रतिशत ब्राड-गेज मार्ग का विद्युतीकरण हो चुका है।
उन्होंने लिखा है कि विद्युतीकरण बढ़ने से रेलवे में सर साल 2857 करोड़ लीटर डीजल की बचत हो रही है, जो ईंधन की लागत की दृद्धि से दो लाख करोड़ रुपये बनती है। उन्होंने यह भी लिखा है कि रेल ढुलाई बहुत स्वच्छ साधन है, क्योंकि इसमें ट्रकों की तुलना में कार्बन उत्सर्जन का स्तर 90 प्रतिशत कम है।
भारतीय रेल ने करीब 162 करोड़ टन माल ढुलाई की थी जो 2013-14 में करीब 106 करोड़ टन थी।

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