सिंधु जल संधि रद्द करने का कदम स्वागत योग्य: शिवराज

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अन्यायपूर्ण सिंधु जल संधि रद्द करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कदम स्वागत योग्य है।
श्री चौहान ने गुरुवार को पंजाब के पटियाला में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में किसानों और वैज्ञानिकों का संबोधित करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने सिंधु जल संधि पर राेक लगाने का फैसला किया है जिससे भारत का पानी भारत के किसानों के लिए इस्तेमाल होगा। सिंधु जल संधि के अनुसार पाकिस्तान के साथ सिंधु, सतलज, ब्यास, रावी, झेलम और चिनाब के पानी का बंटवारा किया जाता रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों तक विज्ञान और शोध की जानकारी पहुंचाने के लिए और ‘लैब टू लैंड’ को जोड़ने के लिए ही ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है। इस अभियान के तहत वैज्ञानिक जिस भी गांव का दौरा करते हैं, वहां के क्षेत्र की पूर्व जानकारी लेकर जाते हैं। इन्हीं के आधार पर भविष्य की कृषि नीति की तय की जाएगी।
उन्होंने कहा कि मिट्टी के पोषक तत्वों, जलवायु के अनुकूल किस्म, कीटाणु हमला और कीटनाशकों के संबंध में सही जानकारी दी जाती है। इस अभियान के जरिए खेत की जरूरत के अनुसार ही शोध की दिशा तय करने का काम किया जा रहा है।
इस अवसर पर पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति एस. एस. भूषण, वैज्ञानिक और अधिकारी कार्यक्रम में शामिल रहे।
श्री चौहान ने कहा,“आज मैंने ट्रैक्टर चलाकर किसानों की व्यावहारिक समस्या को समझने की कोशिश की। इस अभियान के बाद हर क्षेत्र से जो जानकारियां एकत्र होंगी उसी के आधार पर आगे की कृषि नीतियां बनाई जाएंगीं।” उन्होंने कहा कि कीटनाशकों का संतुलित उपयोग भी करना होगा। अनावश्यक अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से कृषि की लागत बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ता है। पंजाब की धरती पर हर किस्म की खेती की जा सकती है। बागवानी के लिए भी व्यापक संभावनाएं हैं। निर्यात गुणवत्ता वाले फल और सब्जियों के उत्पादन के लिए भी प्रयास करने होंगे।

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