मुझे समझ नहीं आया, केंद्र को संसद का विशेष सत्र बुलाने में परेशानी क्यों : मनोज झा

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नई दिल्ली { गहरी खोज } : भारत-पाक सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हावी था। विपक्ष केंद्र से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। इस बीच, मॉनसून सत्र की घोषणा और सत्र में पहलगाम आतंकी हमले की चर्चा कराने की विपक्ष की मांग पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से सांसद मनोज झा ने कहा कि मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाने में परेशानी क्यों हो रही है।
समाचार एजेंसी राजद सांसद मनोज झा ने गुरुवार को कहा कि पहलगाम की पीड़ा व्यक्तिगत नहीं है। यह सामूहिक तौर पर पूरे देश की पीड़ा है। एक चीज जो हमें काफी असहज करती है कि हमारे आजाद हिंदुस्तान में कोई दुसरा मुल्क यह कहे कि उसने मध्यस्थता कराई और एक बार नहीं बल्कि, 12 बार इस बात को दोहराया गया कि हां हमने मध्यस्थता कराई। इसे लेकर विपक्ष संसद का स्पेशल सत्र बुलाने की मांग कर रहा था।
लेकिन, मेरे समझ में नहीं आया कि केंद्र को संसद का स्पेशल सत्र बुलाने में दिक्कत क्या थी। अब मॉनसून सत्र की घोषणा हो जाती है। सच पूछिए तो यह अपनी मनमर्जी से सत्र बुलाते हैं, विपक्ष कोई आग्रह करता है तो उसे खारिज कर दिया जाता है। 1962 में युद्ध के दौरान भी संसद का स्पेशल सत्र बुलाया गया था। क्या 63 वर्षों में यह देश इतना बदल गया है कि खुली बहस चर्चा से भागने लगे हैं।
बेंगलुरु भगदड़ पर राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि मुझे लगता है कि कोई भी भगदड़ मानव निर्मित आपदा है। यह लोगों के कारण होती है, इसलिए कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए। हमने कुंभ के दौरान भी यही देखा था कि कोई खबर बाहर नहीं आ रही थी। हमें खबरें मिल रही थी कि वहां पर भगदड़ मच गई। इस देश में भीड़ जुटाना आसान है। जिनकी मौत हुई है उनके लिए मुआवजे की घोषणा हो जाएगी। लेकिन, जिन घरों से लोग चले गए उनके जाने से जो खालीपन हुआ है उसे कोई नहीं भर सकता। इस तरह के आयोजन में आयोजकों की जवाबदेही होनी चाहिए।

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