लाखों कर्मचारी और मजदूर 9 जुलाई को करेंगे हड़ताल, राज्यभर में होंगे प्रदर्शन : सुभाष लांबा

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चंडीगढ़ { गहरी खोज } : केन्द्र एवं हरियाणा सरकार की मजदूर एवं कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश के लाखों कर्मचारी व मजदूर 9 जुलाई को हड़ताल करेंगे। इस हड़ताल का आह्वान भारतीय मजदूर संघ (बीएसएस) को छोड़कर देश की अन्य सभी 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी संघों की सैकड़ों फेडरेशन ने संयुक्त रूप से किया है।
हरियाणा में सभी प्रमुख कर्मचारी संगठनों के अलावा मजदूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) इंटक, एटक, एचएमएस व एआईयूटीयूसी से जुड़े लाखों की तादाद में कर्मचारी और मजदूर शामिल होंगे। हड़ताल 29 श्रम कानूनों को खत्म कर बनाए गए मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स को वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक, ठेका कर्मियों को नियमित करने, पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली, 26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन और रिक्त पदों को भर बेरोजगारों को रोजगार देने आदि मुद्दों को लेकर की जा रही है।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि सरकार ने एक लाख से ज्यादा ठेका कर्मियों को नियमित करने की बजाय कौशल रोजगार निगम बनाकर ताउम्र अनियमित रखने का पक्का इंतजाम कर दिया गया है। वर्क लोड व आबादी के अनुसार पांच लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं, लेकिन सरकार इनको नियमित व नियम से भर्ती करने के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन के पैरोकारों से सवाल किया कि वह वन नेशन, वन पेंशन (ओपीएस) और वन नेशन,वन टाइप कर्मचारी (रेगुलर) पर चुप क्यों हैं?
उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार ने जनवरी, 2025 को आठवें पे कमीशन के गठन की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर महीने दो लाख करोड़ जीएसटी कलेक्शन के बावजूद 18 महीने के डीए डीआर रिलीज नहीं किया जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने बजट सत्र में फाइनेंस बिल में संशोधन कर 31 दिसंबर,2025 तक के पेंशनर्स को आठवें पे कमीशन की सिफारिशों से वंचित करने का इंतजाम किया गया है। पेंशनर्स की 65 70 व 75 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने और कम्युटेशन राशि में 15 की बजाय 10 साल आठ महीने में करने जैसी मांगों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि आशा, आंगनवाड़ी व मिड डे मील वर्करों को कर्मचारी का दर्जा देने और सभी ठेका कर्मियों को 26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन देने की मांग को भी अनसुना किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तमाम विरोधों के बावजूद पीएसयू का निजीकरण और सरकारी विभागों को सिकोड़ा जा रहा है।
मजदूर संगठन सीटू के महासचिव जय भगवान, इंटक के राज्य प्रधान अमित यादव,एटक के प्रधान अनिल पवार, एचएमएस के प्रधान एसडी त्यागी, एआईयूटीयूसी के सचिव हरि प्रकाश आदि ने बताया कि मजदूरों की प्रमुख मांगों मे मजदूर विरोधी लेबर कोड्स रद्द करना, 26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन देने, ठेका प्रथा निजीकरण बंद हो, अस्थाई / कच्चे कर्मियों/स्कीम वर्कर्स को स्थाई करना, निर्माण श्रमिकों सहित मजदूरों के लिए बने विभिन्न बोर्डो को मजबूत कर सभी सुविधाएं देना और मनरेगा में 200 दिन काम ओर ₹800 मजदूरी तय करना है।
उन्होंने बताया कि 9 जुलाई की हड़ताल को राज्य में सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सभी मजदूर और कर्मचारी संगठन संयुक्त और स्वतंत्र रूप से अभियान चलाए हुए हैं। इसके अलावा सरकार की मजदूर व जन विरोधी नीतियों के आम जनता और मजदूरों पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देने के लिए जन सभाओं का भी आयोजन किया जाएगा।

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