विशेष सत्र की मांग से ध्यान भटकाने के लिए मानसून सत्र की घोषणा : कांग्रेस

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस ने कहा है कि पहलगाम हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व काम करते हुए 47 दिन पहले मानसून सत्र की घोषणा कर दी है जबकि इस तरह की सूचना पहले कुछ दिन पहले ही दी जाती रही है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने बुधवार को यहां एक बयान में कहा कि संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्षी दलों की मांग से ध्यान हटाने के लिए सरकार अचानक संसद के मानसून सत्र की घोषणा कर देती है। ऐसा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विशेष सत्र से भाग सकते हैं, लेकिन मानसून सत्र से नहीं भाग सकते।
उन्होंने कहा “अक्सर संसद सत्र की घोषणा हमेशा एक सप्ताह या दस दिन पहले ही की जाती रही है लेकिन इस बार विपक्ष के सवालों से बचने और विशेष सत्र की मांग को ध्यान में रखते हुए इस बार मानसून सत्र की घोषणा 47 दिन पहले की गई है। भारत के संसदीय इतिहास में इससे पहले कभी भी 47 दिन पहले सत्र की घोषणा नहीं की गई है। कांग्रेस तथा इंडिया समूह के सहयोगी दलों की ओर से पहलगाम आतंकी हमले, आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में न लाने, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बार-बार के दावों और उन दावों के सामने ‘नरेन्द्र का आत्मसमर्पण’ पर चर्चा के लिए संसद के विशेष सत्र की लगातार मांग की जा रही है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ना, चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सांठगांठ और हमारी कूटनीति और विदेश नीति की विफलता जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ-सीडीएस के सिंगापुर में किए गये खुलासे से जुड़े सवालों का विशेष सत्र में जवाब दिया जाना चाहिए था और विपक्ष इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को चार दिन बाद अचानक क्यों रोक दिया जाता है, ये वो मुद्दे हैं जिनका जवाब प्रधानमंत्री नहीं देना चाहते हैं और इन्हीं सवालों का जवाब नहीं देने के लिए वह संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग टाल रहे हैं। विशेष सत्र से ध्यान हटाने के लिए सरकार अचानक संसद का मानसून सत्र बुलाने की घोषणा करती है। प्रधानमंत्री विशेष सत्र से भाग सकते हैं, लेकिन मानसून सत्र से नहीं भाग सकते।