शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी

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संपादकीय { गहरी खोज }: पुणे से लॉ की पढ़ाई कर रही सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा ने इंस्टाग्राम पर ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर बॉलीवुड एक्टर्स की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। उसने कहा था कि 3-4 ऐसे एक्टर्स हैं जो फिल्मों में तो देश के लिए मरने की बात करते हैं लेकिन अब मौका आया देश के लिए खड़े होने का, सोल्जर्स को सपोर्ट करने का, तो चुप्पी साध ली। ऐसे लोग को शर्म आनी चाहिए। बहुत बड़े हिपोक्रेट्स हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शर्मिष्ठा के लाखों फोलोअर्स में एक पाकिस्तानी यूजर भी शामिल है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद उसने शर्मिष्ठा की पोस्ट पर टिप्पणी की थी और आतंकियों का बचाव किया था। इसके जवाब में शर्मिष्ठा ने 14 मई को एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उसने पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। इसी वीडियो में धर्म विशेष को लेकर कही गई बातों को लेकर विवाद बढ़ गया। वीडियो वायरल होते ही पाकिस्तान और भारत के कई मुस्लिम यूजर्स ने शर्मिष्ठा के खिलाफ एफआईआर की मांग की। सोशल मीडिया पर उसे रेप की धमकियों से लेकर ‘सर तन से जुदा’ तक की धमकियां मिलने लगी। धमकियों की बाढ़ के स्क्रीनशॉट शर्मिष्ठा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किए। वीडियो के विरोध और पुलिस के केस दर्ज करने के बाद शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी। शर्मिष्ठा ने लिखा- ‘मैं सबसे बिना शर्त माफी मांगती हूं। जो कुछ भी मैंने कहा, वह मेरी निजी भवनाएं हैं। मेरा मकसद किसी को जानबूझकर ठेस पहुंचाना नहीं था। मैं भविष्य में अपनी सार्वजनिक पोस्ट को लेकर सावधानी बरतूंगी। एक बार फिर मुझे माफ कर दें।’ वीडियो हटाने और माफी मांगने के बाद भी धमकियां जारी रहीं। सुरक्षा कारणों से शर्मिष्ठा ने अपने परिवार के साथ कोलकाता छोड़ दिया और दिल्ली-एनसीआर में शिफ्ट हो गई। उसने पोस्ट में लिखा- पाकिस्तान पर निशाना साधने के कारण कट्टरपंथी पाकिस्तानी आतंकी मुझे निशाना बना रहे हैं। गुरुग्राम से गिरफ्तार करने के बाद कोलकाता पुलिस ने 31 मई को शर्मिष्ठा को अलीपुर सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उसे 13 जून 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कोर्ट से बाहर निकलते समय शर्मिष्ठा ने गुस्से में कहा, ‘यह लोकतंत्र नहीं है’ और उसने गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 13 जून को होगी। हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार की गई इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के समर्थन में अब हिमाचल के मंडी से सांसद बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट उतरी हैं। कंगना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक स्टोरी पोस्ट करते हुए शर्मिष्ठा को रिहा करने की मांग की है। कंगना ने लिखा यह ठीक नहीं है कि एक युवा लड़की को उसकी राय व्यक्त करने के लिए इतना परेशान किया जाए। उसे तुरंत रिहा करना चाहिए।
कंगना रनोट ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर अपना रिएक्शन देते हुए इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा- ‘मैं मानती हूं कि शर्मिष्ठा ने अपने वीडियो में कुछ अनुचित शब्दों को इस्तेमाल किया, लेकिन ऐसे शब्द आजकल ज्यादातर युवा इस्तेमाल करते हैं। उसने अपने बयान के लिए माफी मांगी है और इतना पर्याप्त होना चाहिए। उसे अब और अधिक धमकाने या परेशान करने की जरूरत नहीं है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।’ भाजपा ने शर्मिष्ठा पनोली का समर्थन किया है। भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुर्वेदु अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता ने महाकुंभ को मृत्युकुंभ और जय श्रीराम को उनके विरुद्ध इस्तेमाल किया गया अपशब्द बताया। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने काली को मांस खाने वाली व शराब स्वीकार करने वाली देवी बताया। बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने इस्लाम धर्म में पैदा नहीं होने वालों को दुर्भाग्यशाली कहा, फिर भी उन लोगों के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, जबकि शर्मिष्ठा ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद की परिस्थितियों को
लेकर टिप्पणी की तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख व बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि शर्मिष्ठा के पोस्ट से कहीं सांप्रदायिक तनाव नहीं फैला है, फिर भी कोलकाता पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने में हड़बड़ी दिखाई। मुख्यमंत्री ममता ने इससे भी ज्यादा विभाजनकारी बयान दिए हैं। क्या उनके मामले में इतनी तत्परता दिखाई गई? यह दर्शाता है कि वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए कैसे एक हिंदू महिला को निशाना बनाया जा रहा है? धर्म से जुड़े मामलों में राज्य पुलिस के दोहरे मानदंडों की निंदा करते हुए आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि तृणमूल कांग्रेस के चुने हुए नेता, सांसद सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं। हमारे धर्म को ‘गंध धर्म’ कहा जाता है, तो आक्रोश कहां है? उनकी माफी कहां है? उनकी त्वरित गिरफ्तारी कहां है? शर्मिष्ठा पनोली की बंगाल पुलिस द्वारा गिरफ्तारी पर आलोचना करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता दोतरफा होनी चाहिए। डच संसद के सदस्य व दक्षिणपंथी पार्टी फार फीडम के नेता गीर्ट वाइल्डर्स ने कहा कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अपमान है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने शर्मिष्ठा की तत्काल रिहाई और निष्पक्ष सुनवाई की मांग की। धर्म को लेकर आपत्तिनजक वीडियो डालना या अनुचित शब्दों का इस्तेमाल करके किसी वर्ग विशेष की भावनाओं को आहत करना गलत ही नहीं बल्कि देशहित में भी नहीं। अतीत में जाएं तो ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनको लेकर कई तरह के विवाद पैदा हुए और बात बढ़ते-बढ़ते हिंसात्मक घटनाओं तक पहुंच गई।
उपरोक्त के अलावा जो और दुःखदाई बात है वह ऐसे मामलों में दोहरी नीति की है। शर्मिष्ठा पनोली ने पाकिस्तानी यूजर की क्रिया पर प्रतिक्रिया दी, ठीक उसी तरह जिस तरह नुपूर शर्मा ने अतीत में टी.वी. में वार्ता के दौरान दी थी। सनातन धर्म को लेकर किसने क्या कहा उस पर चुप्पी साधना और उसके जवाब में अगर किसी ने प्रतिक्रिया दी तो उसका ‘सर तन से जुदा’ कर देने की धमकी देने वाले के प्रति नर्म रवैया अपनाना यह दोहरे मापदंड अति चिंता का विषय है। शर्मिष्ठा पनोली ने तो विवादित वीडियो को हटा भी लिया और माफी भी मांग ली लेकिन उसके बाद भी कोलकाता पुलिस ने उसको गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद शर्मिष्ठा के समर्थन में उठी आवाजें धरातल के सत्य को ही कह रही है।
समाज, प्रदेश की सरकार व केंद्र सरकार को आपत्तिजनक ब्यानों और वीडियो को लेकर जो राजनीतिक स्वार्थ हेतु दोहरे मापदंडों वाली नीति प्रति चिंतन कर उसे समाप्त करना चाहिए। तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुए एक धर्म विशेष को प्राथमिकता देना और दूसरे धर्म के लोगों की भावनाओं के प्रति उदासीन रहना देशहित में नहीं। कानून की नज़रों में सभी एक समान है तो फिर व्यवहार एक समान क्यों नहीं? शर्मिष्ठा ने प्रतिक्रिया में जो किया उसके लिए उसने माफी भी मांग ली है और वीडियो भी हटा दिया है। उसका भविष्य खराब न हो उसको देखते हुए ही प्रशासन की अगली कार्रवाई होनी चाहिए।

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