चिन्नास्वामी के बाहर भगदड़: जीत का जश्न, इंसानियत और इंतजाम दोनों पर उठे गंभीर सवाल

बेंगलुरु{ गहरी खोज }: बुधवार का दिन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के प्रशंसकों के लिए 18 साल के लंबे इंतजार के बाद ऐतिहासिक खुशी का पैगाम लेकर आया था, जब उनकी टीम ने आईपीएल 2025 की ट्रॉफी अपने नाम की। लेकिन यह खुशी देखते ही देखते एक भयानक त्रासदी में बदल गई। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास टीम की जीत का जश्न मनाने के लिए उमड़ी भारी भीड़ में भगदड़ मचने से आठ लोगों की मौत की आशंका है और 50 से अधिक प्रशंसक घायल हो गए या बीमार पड़ गए। यह घटना न सिर्फ जीत के उल्लास को मातम में बदल गई, बल्कि व्यवस्था, योजना और सबसे बढ़कर मानवीय संवेदनाओं पर कई गंभीर सवाल खड़े कर गई।
सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि जब स्टेडियम के बाहर लोग अपनी जान बचाने के लिए जूझ रहे थे, कई जानें जा चुकी थीं, तब भी कथित तौर पर स्टेडियम के अंदर जश्न और परेड का प्रसारण जारी रहा। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। एक यूजर ने लिखा, “अविश्वसनीय! आरसीबी परेड के विजय उत्सव का प्रसारण जारी है। भगदड़ का कोई जिक्र नहीं। यह ठीक नहीं है।” एक अन्य ने लिखा, “सबसे दर्दनाक पहलू है दिखाई गई चौंकाने वाली उदासीनता – शव पड़े रहे और जश्न जारी रहा। हमारी इंसानियत कहाँ है?” ये प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि आम जनता के मन में इस असंवेदनशीलता को लेकर कितना आक्रोश है। क्या जीत का जश्न इंसानी जानों से ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया था?
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, भगदड़ तब मची जब हजारों प्रशंसक विभिन्न गेटों से स्टेडियम में एक साथ घुसने की कोशिश कर रहे थे। यह स्पष्ट रूप से भीड़ प्रबंधन में भारी चूक की ओर इशारा करता है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे “राज्य प्रायोजित त्रासदी” करार देते हुए कर्नाटक सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बेंगलुरु पुलिस और कर्नाटक सरकार ने इस आयोजन के पैमाने का अनुमान नहीं लगाया था? 18 साल बाद मिली जीत के लिए भारी भीड़ का उमड़ना स्वाभाविक था। ऐसे में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए? मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का पालन क्यों नहीं हुआ?
यह भी बताया जा रहा है कि सड़कों पर भारी भीड़ के कारण घायलों को ले जा रही एम्बुलेंस को भी अस्पतालों तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिससे शायद कुछ जानें बचाई जा सकती थीं। हालांकि कर्नाटक सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए विधान सौध से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक होने वाले विजय जुलूस को पहले ही रद्द कर दिया था, लेकिन स्टेडियम में होने वाले जश्न के लिए की गई व्यवस्थाएं स्पष्ट रूप से नाकाफी साबित हुईं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की है, लेकिन यह कदम नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता।
यह दुखद घटना हमें 2024 में मुंबई के मरीन ड्राइव पर टीम इंडिया की टी20 विश्व कप जीत के बाद हुए भयावह मंजर की याद दिलाती है, जहां अनियंत्रित भीड़ के कारण कई लोग घायल हुए थे और संपत्ति का भी नुकसान हुआ था। ऐसा प्रतीत होता है कि हमने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा है। बड़े पैमाने पर होने वाले सार्वजनिक समारोहों, खासकर जीत के उन्मादी जश्न के लिए एक मजबूत और फूलप्रूफ योजना की नितांत आवश्यकता है।
इस पूरे मामले की एक उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह तय किया जाना चाहिए कि किसकी लापरवाही से यह भयानक हादसा हुआ और उन लोगों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। सिर्फ मुआवजा देना या शोक व्यक्त करना काफी नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जहां प्रशंसकों का उत्साह भी बना रहे और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।
किसी भी टीम की जीत खुशी का अवसर होती है, लेकिन यह खुशी कभी भी इंसानी जानों की कीमत पर नहीं आनी चाहिए। बेंगलुरु की यह त्रासदी एक चेतावनी है कि हमें अपनी प्राथमिकताओं और व्यवस्थाओं पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। उम्मीद है कि इस भयावह घटना से सबक लेकर हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में खुशी के पल मातम में न बदलें और इंसानियत हमेशा हर जश्न से ऊपर रहे।