इंदौर में डॉक्टर की बिल्डिंग पर कार्रवाई, ब्लास्ट कर गिराया ढांचा, रिश्वत का आरोप

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इंदौर{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक डॉक्टर की निर्माणाधीन तीन मंजिला इमारत को गिराने का मामला सुर्खियों में है। डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि नगर निगम के अधिकारियों ने पहले 5 लाख रुपये की रिश्वत ली और बाद में 15 लाख रुपये और मांगे। जब उन्होंने यह राशि देने से इनकार किया, तो उनकी इमारत को बम लगाकर ढहा दिया गया। इस मामले में इंदौर के महापौर ने आपत्ति जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हो गई है।इंदौर के डॉ। इजहार मुंशी ने साल 2020 में इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) से लगभग 1,000 वर्ग फीट का यह प्लॉट खरीदा था और उस पर इमारत का निर्माण शुरू करवाया था। इमारत की तीन मंजिलें तैयार हो चुकी थीं, तभी नगर निगम ने नोटिस जारी कर कहा कि इमारत नाले से 9 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए, जो मापने पर कम पाई गई। इस आधार पर इसे अवैध घोषित कर तोड़ने का आदेश दिया गया। पहले बुलडोजर से कार्रवाई की गई, फिर बम लगाकर पूरी इमारत ढहा दी गई। इस कार्रवाई के बाद मामला गरमाया, क्योंकि जिस प्लॉट पर इमारत बनी थी, उसे कानूनी रूप से इंदौर विकास प्राधिकरण से खरीदा गया था। दो साल तक इस प्लॉट पर निर्माण कार्य चलता रहा, लेकिन तब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
इमारत के मालिक डॉ। इजहार मुंशी ने नगर निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे पहले 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी, जो उन्होंने दे दी थी। इसके बाद 15 लाख रुपये और मांगे गए। जब उन्होंने यह राशि देने से इनकार किया, तो इमारत को अवैध बताकर तोड़ दिया गया। उन्होंने बताया कि प्लॉट कानूनी रूप से खरीदा गया था और इमारत का निर्माण भी नगर निगम से नक्शा पास करवाकर किया जा रहा था।
इस मामले में इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ‘आजतक’ से बातचीत में कहा, “यह जांच का विषय है। जिस तरह इमारत को तोड़ा गया, उस पर कई सवाल उठ रहे हैं। जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। मैंने मकान मालिक से लिखित शिकायत देने को कहा है। वे सभी तथ्य लिखित में दें, ताकि जांच हो सके। लेकिन जिस तरह इमारत तोड़ी गई, वह गलत है। इमारत तोड़ने के नियमों का पालन नहीं किया गया। यह भी सवाल है कि इमारत बनी कैसे? किसी ने IDA से प्लॉट लिया, नक्शा पास कराया और अगर कुछ गलत था, तो केवल उसी हिस्से को तोड़ना चाहिए था। पूरी इमारत क्यों तोड़ी गई, इसकी जांच के लिए मैंने निर्देश दिए हैं।” शुरुआती शिकायत के आधार पर एक जोनल अधिकारी को उनके पद से हटाकर दूसरे विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि बिल्डिंग इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है।

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