सरकार युक्तियुक्तकरण के बाद भर्ती करेगी

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: सरकार जब भी युक्तियुक्तकरण करने की घोषणा करती है तो शिक्षकों के २३ संगठन उसमें मीनमेख निकालकर विरोध शुरू कर देते हैं। शिक्षकों के संगठन है, शिक्षकों के नेता हैं तो वह तो मौका ढूंढते रहते हैं कि कैसे खुद को शिक्षकों का हितैषी बताएं और सरकार को शिक्षकों व शिक्षा का दुश्मन।हर संगठन का नेता खुद को शिक्षकों को हितैषी बताने के लिए बिना किसी आधार के कहने लगता है कि सरकार के युक्तियुक्तकरण से हजारोंं स्कूल बंद हो जाएंगे,ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी। सरकार कुछ भी शिक्षा के लिए अच्छा करना चाहती है,शिक्षकों के लिए अच्छा करना चाहती है,शिक्षक संगठन को यह मौका सरकार के समक्ष अपनी मांग रखने का बन जाता है। वह ऐसी ऐसी मांग करती है कि सरकार जिसे पूरा नहीं कर सकती। ऐसी मांगे रखकर दरअसल शिक्षकों के संगठन चाहते हैं सरकार जिस तरह युक्तियुक्त करना चाहती है, उस तरह न करे, बल्कि शिक्षकों के संगठन जैसा चाहते हैं, वैसा ही करे।सरकार ऐसा नही करती है तो विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया जाता है। युक्तियुक्तकरण के विरोध में रायपुर संभाग के शिक्षकों ने नया रायपुर में आंदोलन शुरू कर दिया है।शिक्षक साझा मंच की मांग है कि विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण को निरस्त किया जाए,प्रदेश के एक लाख से अधिक शिक्षकों को एरियर्स सहित क्रमोन्नत वेतनमान दिया जाए,प्रथम सेवा गणना करते हुए पुरानी पेंशन बहाली सहित समस्त लाभ दिया जाए,प्रशिक्षितों को प्रमोशन के लिए बीएड की अनिवार्यता से छूट दी जाए। रायपुर संभाग के शिक्षक चाहते हैं कि सेटअप २००८ के अनुसार युक्तियु्क्तकरण किया जाए। शिक्षकों की मांग है कि प्रदेश की शालाओं में रिक्त २० हजार पदों पर पदोन्नति की जाए,उसके बाद सेटअप से अधिक जहां भी पदस्थ हैं,उन शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के दायरे में लाया जाए लेकिन शिक्षा के अधिकार के कानून के आधार पर सेटअप २००८ के साथ खिलवाड न किया जाए।शिक्षक साझा मंच ने धरना प्रदर्शन के बाद निर्णय किया है कि एक जून से जिले में युक्तियुक्तकरण के लिए हो रही काउंसिलिंग का विरोध किया जाए।
इस बात में दो मत नहीं है कि सरकारी कर्मचारियों में शिक्षकों के संगठन मजबूत माने जाते हैं।भले ही उनके २३ संगठन हों.वे अहम मसले पर एकजुट भी हो जाते हैं।शिक्षकों की मांग पर कई बार सरकार के झुकना भी पड़ा है लेकिन इस बार सरकार की होशियारी के कारण शिक्षक संगठनों को असर उतना पड़ता नहीं दिख रहा है। युक्तियुक्तकरण से लिए जिलावाइज हो रही काउसिंलिंग में शिक्षकों की भीड़ से ऐसा लग रहा है कि शिक्षकों को सरकार का निर्णय ज्यादा अच्छा लग रहा है, क्योंकि अतिशेष शिक्षकों व प्रधानपाठकों को उनकी पसंद की जगह दी जा रही है। सरकार ने युक्तियुक्तकरण के बाद भर्ती की घोषणा कर अपना पक्ष मजबूत कर लिया है।युक्तियुक्तकरण से हजारों स्कूल बंद करने,शिक्षकों की संख्या कम करने तथा शिक्षकों की नई भर्ती नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा था। सरकार ने दिसंबर २३ मेें आश्वासन दिया था कि एक साल के भीतर ५४हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।युक्तिकरण से अतिशेष शिक्षकों को दूसरी जगह समायोजित किया जा रहा है तो यह आशंका बढ़ गई कि सरकार शिक्षकों की भर्ती को आगे के लिए टाल सकती है।सीएम साय ने यह घोषणा कर स्कूलों में पहले चरण में ५००० शिक्षकों की भर्ती की जाएगी, सारी आशंकाओं को दूर कर दिया है।
इसी के साथ युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है.इसके पूरा होने के बाद भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। साय ने पहले की साफ कर दिया है कि शिक्षकों व स्कूलों का युक्तियुक्तकरण शिक्षा की गुणवत्ता व पहुंच को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि जहां जरूरत है,वहां शिक्षक उपलब्ध हो और बच्चो को अच्छी शिक्षा,बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिले।सरकार का साफ कहना है कि युक्तियुक्तकरण का मतलब है कि स्कूल व शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह सुधारना है कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो।स्कूल शिक्षा सचिव के मुताबिक तो राज्य के ३०७०० प्राइमरी स्कूलों और मिडिल स्कूलों में छात्रशिक्षक अऩुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर हैं। उन्होंने बताया है कि राज्य के २१२ प्राइमरी स्कूल शिक्षकविहीन है.६८७२ प्राथमिक स्कूलों में एक एक शिक्षक हैं,पूर्व माध्यमिक स्तर पर ४८स्कूलों में शिक्षक नहीं है।२५५ स्कूलों में एक एक शिक्षक हैं।३६२ ऐसे स्कूल है जहां शिक्षक हैं पर छात्र नहीं है।
शिक्षा विभाग के अऩुसार युक्तियुक्तकरण के पहले जो कुछ कहा जा रहा था, वैसा कुछ नहीं होने जा रहा है।युक्तियुक्तकरण के तहत १०४६३ स्कूलों में से सिर्फ १६६ का समायोजन होगा। इनमें से ग्रामीण इलाकों के १३३ स्कूल ऐसे हैजिसमें छात्रों की संख्या १० से कम है और एक किमी के भीतर दूसरा स्कूल संचालित है।शिक्षा विभाग के अनुसार हजारों स्कूलों के बंद होने का बात भ्रामक है।सिर्फ १६६ स्कूलों को बेहतर शिक्षा के उदेद्श्य से समायोजित किया जा रहा है।इससे किसी भी स्थिति में बच्चों की पढाई प्रभावित नहीं होगी।शेष १०२९७ स्कूल पूरी तरह चालू रहेंगे.उनमें केवल प्रशासनिक व शैक्षणिक स्तर पर आवश्यक समायोजन किया जा रहा है। स्कूल भवनों का उपयोग पहले की तरह जारी रहेगा तथा जहा आवश्यकता होगी वहां शिक्षक उपलब्ध रहेंगे।सरकार की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया है कि स्कूलों का समायोजन करने का मतलब स्कूल बंद करना नही होता है।समायोजन का अर्थ होता है कि पास के स्कूलों को एकीकृत कर संंसाधनों का बेहतर उपयोग करना है। बच्चो को अच्छी शिक्षा देना है,स्कूल बंद करना नहीं है। सरकार कोई अच्छा फैसला करे तो ऐसा हो नहीं सकता की कांग्रेस उसे गलत साबित करने का प्रयास न करे, आंदोलन करने की घोषणा न करे।सरकार के युक्तियुक्तकरण के विरोध में कांग्रेस ने आंदोलन करने का फैसला कर लिया है। कांग्रेस का मानना है कि युक्तियुक्तकरण से राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।यह फैसला सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने की साजिश है। इस निर्णय का सबसे ज्यादा नुकसान बस्तर व सरगुजा अंचल के स्कूलों पर पड़ेगा यानी आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर पड़ेगा।कांग्रेस का दावा है कि स्कूलों को जबरिया बंद करने से शिक्षकों समेत वहां संलग्न रसोइया,स्वीपर,मध्यान्ह भोजन बनाने वाले महिला समूहों के समक्ष जीवनयापन को संकट पैदा होगा।