संरक्षणवाद और अनिश्चितता से निटपने के लिए नीतिगत दरों में हाे आधी फीसदी की कमी

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नयी दिल्ली { गहरी खोज } : बढ़ते संरक्षणवाद और भू राजनीतिक तनाव से उत्पन्न चुनौतियों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती को ध्यान में रखते हुये घेरलू स्तर पर आर्थिक गतिविधियों और निर्यात को गति देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) से नीतिगत दरों में आधी फीसदी की कटौती करने की उम्मीद की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि मई 2022 के बाद फरवरी 2025 में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत और अप्रैल 2025 में फिर से 0.25 प्रतिशत की कमी की गयी है। इन दो कटौतियों से आम लोगों विशेषकर आवास ऋण और नये व्यक्तिगत ऋण, वाहन ऋण लेने वालों को राहत मिली है क्योंकि बैंकों ने कटौतियों के लाभ काे ग्राहकों तक पहुंचाना शुरू कर दिया है। यदि जून की बैठक में भी आधी फीसद की कमी की जाती है तो कुल मिलाकर नीतिगत दरों में एक प्रतिशत की कटौती हो जायेगी जिससे आवास ऋण आदि की मांग में तेजी आ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एमपीसी की चार से छह जून तक प्रस्तावित बैठक में नीतिगत दरोें में आधी फीसदी अर्थात 50 आधर अंकों की कटौती की उम्मीद की जा रही है क्योंकि बड़ी दर कटौती अनिश्चितता के प्रतिकार के रूप में कार्य कर सकती है। वर्तमान दर सहजता चक्र में देनदारियों का पुनर्मूल्यन तेजी से हो रहा है लेेकिन वैश्विक अनिश्चितता से निटपने के लिए नीतिगत दरों में यह कटौती अति महत्वपूर्ण दिख रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद और अनिश्चितता के कारण 50 आधार अंकों की गिरावट का अनुमान है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट का अनुमान है। 2025 में चीन की वृद्धि 130 आधार अंकों और भारत की 20-30 आधार अंकों की गिरावट का अनुमान है। वैश्विक प्रमुख मुद्रास्फीति में अपेक्षा से कम गति से कमी आने की उम्मीद है। उभरती अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद है, चीन के लिए नवीनतम रीडिंग नकारात्मक मुद्रास्फीति का संकेत दे रही है। व्यापार युद्धों ने अमेरिकी राजकोषीय घाटे पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डाला है।
घरेलू स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। मौसम विभाग द्वारा सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी, फसलों की मजबूत आवक और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई अनुमान को वित्त वर्ष 2026 में 3.5 प्रतिशत तक आने का अनुमान जताया गया है लेकिन अभी इसमें और कमी आने की उम्मीद की जा रही है।
16वें वित्त आयोग के सदस्य एवं भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ़ सौम्य कांति घोष ने यह उम्मीद जातते हुये सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2025 में वैश्विक वृद्धि में 50 आधार अंकों की कमी आने का अनुमान है। व्यापार की मात्रा में वृद्धि 2024 के स्तर से आधी होकर 1.7 प्रतिशत तक रह सकती है। वैश्विक मुद्रास्फीति जोखिम नियंत्रित रहेगा। भू-राजनीतिक जोखिम उच्च बना हुआ है। उभरते बाजारों में, धीमी वृद्धि केंद्रीय बैंकों को समायोजन में तेजी लाने के लिए प्रेरित कर सकती है।
डॉ घोष ने कहा “ हमें जून 2025 की नीति में 50 आधार अंकों की दर कटौती की उम्मीद है क्योंकि बड़ी दर कटौती क्रेडिट चक्र को फिर से सक्रिय कर सकती है। चक्र के दौरान संचयी दर कटौती 100 आधार अंक हो सकती है। विस्तारित अधिशेष मोड में तरलता के साथ, वर्तमान दर सहजता चक्र में देनदारियों का तेजी से पुनर्मूल्यांकन हो रहा है। बैंकों ने पहले ही बचत खातों पर ब्याज दरों को 2.70 प्रतिशत की न्यूनतम दर पर घटा दिया है। इसके अलावा, फरवरी 2025 से सावधि जमा (एफडी) दरों में 30 से 70 आधार अंकों की कमी की गई है। आने वाली तिमाहियों में जमा दरों में ट्रांसमिशन मजबूत होने की उम्मीद है। घरेलू तरलता और वित्तीय स्थिरता की चिंताएँ कम हो गई हैं। मुद्रास्फीति के सहनीय बैंड के भीतर रहने की उम्मीद है। घरेलू विकास की गति को बरकरार रखना मुख्य नीतिगत फोकस होना चाहिए और यह एक जंबो दर कटौती का औचित्य प्रदान करता है।”
उन्होंने कहा कि घरेलू वित्तीय स्थिरता जोखिम कम हो गया है। भारतीय बैंकों , विशेष रूप से सरकारी बैंकों ने शानदार वित्तीय परिणामों की एक और तिमाही प्रदर्शित की। पीएसबी के मुनाफे में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निजी बैंकों के मुनाफे में केवल 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 16 मई, 2025 तक ऋण वृद्धि में मंदी रहने और जमा तथा अग्रिम के बीच अंतर कम होने से तरलता पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। सिस्टम लिक्विडिटी अधिशेष मोड में बदल गई और 31 मार्च 2025 को 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। आरबीआई के 2.68 लाख करोड़ रुपये के लाभांश की घोषणा के साथ, जून 2025 के अंत तक कोर लिक्विडिटी 5.3 लाख करोड़ रुपये की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2026 में टिकाऊ लिक्विडिटी अधिशेष रहने की संभावना है।
डॉ घोष ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में, आरबीआई की प्रतिक्रिया कार्य को नियंत्रित मुद्रास्फीति और घरेलू विकास में संभावित मंदी के बीच संतुलन बनाना होगा और निवेश का समर्थन करना होगा। उन्होंने आरबीआई से विकास को बढ़ावा देने के लिए 50 आधार अंकों की कटौती करने की उममीद जतायी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपने मजबूत वृहद आर्थिक नींव , मजबूत वित्तीय क्षेत्र और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का लाभ उठाकर वित्त वर्ष 2026 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। फरवरी और अप्रैल 2025 में आरबीआई द्वारा रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद, कई बैंकों ने हाल ही में अपने रेपो-लिंक्ड ईबीएलआर को इसी परिमाण से कम कर दिया है। अब लगभग 60.2 प्रतिशत ऋण ईबीएलआर से जुड़े हैं और 35.9 प्रतिशत एमसीएलआर से जुड़े हैं। उनका मानना ​​है कि पहली बार दरों में ढील के चक्र में देनदारियों का पुनर्मूल्यन तेजी से हो रहा है।

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