दुर्लभ आर्कटिक पक्षी ‘सबाइन का गुल’ गुजरात के नळ सरोवर का विशेष अतिथि बना

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गांधीनगर { गहरी खोज } : यह पक्षी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) के खुले पानी में देखा गया, जिसे अभयारण्य के कर्मचारियों तथा आगंतुक पक्षी प्रेमियों ने आनंदपूर्वक निहारा। मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री मुळुभाई बेरा व राज्य मंत्री श्री मुकेशभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में वन्यजीवों का अधिक से अधिक संरक्षण तथा संवर्धन किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप विश्वभर से पक्षी गुजरात के अतिथि बन रहे हैं, जो सभी गुजरातियों के लिए गौरव समान क्षण है।
नळ सरोवर पक्षी अभयारण्य मंडल की वन उप संरक्षक डॉ. सकीरा बेगम ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह दृश्य बहुत ही अद्भुत था, कारण कि ‘सबाइन का गुल’ का भारतीय उपमहाद्वीप पर भ्रमण करना अति दुर्लभ है। सार्वजनिक पक्षी अवलोकन डेटाबेस ई-बर्ड के अनुसार ऐसा नजारा कभी-कभार ही देखने को मिलता है। यह अद्भुत नजारा भारत में इससे पहले 2013 में केरल में देखने को मिला था। नळ सरोवर में देखे गए इस दुर्लभ पक्षी की तसवीरें गाइड श्री गनी समा ने अपने कैमरा में क्लिक कीं।

एक विशिष्ट आर्कटिक गुल

‘सबाइन का गुल’ एक छोटा, सुंदर गुल (पक्षी) है, जो उसके आकर्षक दिखावे के कारण विख्यात है। संवर्धन अवस्था में उसकी पहचान धारदार काले हुड, स्पष्ट खाखी आवरण तथा सफेद नेप (गर्दन) से होती है। उसकी सबसे विशिष्ट पहचान उसके तिरंगी पंख हैं; जो काले, सफेद तथा खाखी रंग के होते हैं। यह उन दो गुलों में से एक है, जिसकी चोंच काली, सिरा पीला तथा पूँछ दाँते वाली होती है।
‘सबाइन का गुल’ मुख्य रूप से उत्तर अमेरिका, ग्रीनलैंड एवं साइबेरिया के ऊँचे अक्षांश वाले आर्कटिक क्षेत्रों में प्रजनन करता है, जहाँ वह टुंड्रा की आर्द्रभूमि के निकट घोंसला बनाकर रहता है। वह मुख्यतः उष्णकटिबंधीय अपवेलिंग क्षेत्रों में शीत ऋतु बिताने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करता है, जो अमेरिका तथा अफ्रीका के पश्चिमी तटों से दूर उत्पादक समुद्री क्षेत्र है। अन्य पक्षियों की तरह ‘सबाइन का गुल’ का स्थानांतरण मार्ग भारत से नहीं गुजरता है। इसलिए भारत में उसका दिखना दुर्लभ एवं अप्रत्याशित माना जाता है। साथ ही; ऐसा भी माना जाता है कि यह पक्षी उसका रास्ता भटक कर यहाँ पहुँचा होगा, परंतु इस प्रकार के अवलोकन तथा पंजीकरण पक्षियों के अभ्यासकर्ताओं के लिए बहुत ही रुचिप्रद घटना है।

नळ सरोवर और भारतीय पक्षी शास्त्र के लिए महत्व

नळ सरोवर भारत के सबसे बड़े एवं पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि अभयारण्यों में एक है; जो फ्लैमिंगो, पेलिकन्स, बतक तथा वेडर जैसी अनेक स्थानांतरणकर्ता व स्थायी पक्षी प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। ‘सबाइन का गुल’ का अचानक दिखाई देना इस अभयारण्य के वैश्विक स्तर पर पक्षी जीवन के लिए महत्व की पहचान में वृद्धि करता है और नळ सरोवर का वैश्विक पक्षी शास्त्र में स्थान अधिक मजबूत करता है।
यह अवलोकन वन विभाग के स्टाफ तथा पक्षी प्रेमियों द्वारा सतत निरीक्षण एवं दस्तावेजीकरण की महत्ता को जागृत करता है। ऐसी दुर्लभ घटनाएँ शोधकर्ताओं को पक्षियों के स्थानांतरण, पक्षियों के घूमने जाने की गतिविधियों तथा पर्यावरणीय परिवर्तन के व्यापक परिणामों के बारे में अधिक समझने में मदद करती हैं।
वन विभाग आगंतुकों तथा शोधकर्ताओं को ऐसे दृश्यों का आनंद उठाने एवं असाधारण या उल्लेखनीय पक्षी अवलोकन की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो भारत में पक्षियों की विविधता को अधिक बेहतर ढंग से समझने में योगदान दे रहे हैं।

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